Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Aug, 2017 11:33 AM
एक युवा लंबे अर्से बाद अपने स्कूल गया था। दरवाजे पर पहुंचते ही एकाएक बचपन के कई दृश्य आंखों के सामने घूम
एक युवा लंबे अर्से बाद अपने स्कूल गया था। दरवाजे पर पहुंचते ही एकाएक बचपन के कई दृश्य आंखों के सामने घूम गए। उसे याद आया कि स्कूल के सामने एक चाय की दुकान थी, जहां से वह अक्सर शिक्षकों के लिए चाय ले जाया करता था और चायवाला जब भी चाय बनाता तो आधा कप चाय उसे भी पीने को देता था। चाय वाला रोज ऐसा करता।
इन्हीं यादों में खोया वह फिर उसी दुकान के पास पहुंच गया और एक चाय मांगी। वह चाय का आनंद ले ही रहा था कि उसकी नजर एक गंदे से आदमी पर पड़ी जो उसे उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा था। इससे पहले कि थोड़ी उधेड़बुन के बाद वह युवा चायवाले से उस व्यक्ति को चाय देने के लिए कहता, चायवाले ने स्वयं ही उसकी ओर एक कप बढ़ा दिया।
कुछ देर बाद युवा ने दोबारा उस आदमी को चाय देने को बोला तो वह व्यक्ति बोला, ‘‘रहने दीजिए भाई साहब, मेरी जरूरत पूरी हो गई। आपने देर कर दी।’’