Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 10:21 AM
गुरुवार दि॰ 08.02.18 फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को जानकी जयंती पर्व मनाया जाएगा। जानकी देवी लक्ष्मी की अवतार सीता का ही एक नाम है। माता सीता की उत्पत्ति भूमि से हुई थी, इस कारण उन्हें वसुंधरा भी कहते हैं। जोती हुई भूमि व हल के नोक को भी ''सीता'' कहा जाता...
गुरुवार दि॰ 08.02.18 फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को जानकी जयंती पर्व मनाया जाएगा। जानकी देवी लक्ष्मी की अवतार सीता का ही एक नाम है। माता सीता की उत्पत्ति भूमि से हुई थी, इस कारण उन्हें वसुंधरा भी कहते हैं। जोती हुई भूमि व हल के नोक को भी 'सीता' कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम 'सीता' रखा गया था। अत: इस पर्व को 'जानकी नवमी' भी कहते हैं। राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया, इसी कारण उनका नाम ‘जानकी’ पड़ा। युवा होने पर सीता जी का विवाह श्रीराम के साथ हुआ। वाल्मीकि रामायण आदि शास्त्रों में सीता के स्वरूप का विस्तार से वर्णन है। ऋग्वेद में एक स्तुति में कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता आप हमारा कल्याण करें। रामचरितमानस में सीता को संसार की उत्पत्ति, पालन व संहार करने वाली लक्ष्मी कहा गया है। देवी सीता शक्ति, इच्छा-शक्ति व ज्ञान-शक्ति तीनों रूपों में प्रकट होती हैं, अतः वे परमात्मा की शक्ति स्वरूपा हैं। मान्यतानुसार इस दिन सीता-राम के निमित विधिवत पूजन व्रत व उपाय से 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है तथा जीवनसाथी को लंबी आयु प्रदान होती है? विवाह में आने वाले विलंब दूर होते हैं, सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
विशेष पूजन विधि: घर के ईशान कोण में पीले वस्त्र पर गणपती, लक्ष्मी, पार्वती, श्रीहरि व महादेव का चित्र स्थापित कर विधिवत पंचोपचार पूजन करें। हल्दी मिले घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें। केसर से तिलक करें। गेंदे के फूल चढ़ाएं, कद्दू के हलवे का भोग लगाएं। किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत भोग पीली आभा लिए गाय को खिलाएं।
पूजन मुहूर्त: शाम 15:30 से शाम 16:30 तक है।
पूजन मंत्र: श्रीं सीता-रामाय नमः॥
उपाय
सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु सीता-राम पर चढ़े 12 गोल फल बच्चों में बांटें।
जीवनसाथी की लंबी आयु हेतु देवी सीता के निमित चढ़े 7 केले गाय को खिलाएं।
विवाह से विलंब दूर करने हेतु सीता राम मंदिर में सुगंधित घी के 7 दीपक करें।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com