कालसर्प योग की पूजा के बाद भी हैं परेशान, जानें कारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 08:47 AM

kalsarpa yoga after worship is also troubled learn reason

सामान्य प्रचलित धारणा के अनुसार यदि कुंडली में सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) जब राहू-केतु के बीच स्थित हो जाते हैं तो कालसर्प योग माना जाता है या बनता है। सामान्यत: यदि किसी जातक (व्यक्ति) की जन्मकुंडली में कालसर्प योग होता...

सामान्य प्रचलित धारणा के अनुसार यदि कुंडली में सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) जब राहू-केतु के बीच स्थित हो जाते हैं तो कालसर्प योग माना जाता है या बनता है। सामान्यत: यदि किसी जातक (व्यक्ति) की जन्मकुंडली में कालसर्प योग होता है तो उसे जिंदगी भर संघर्ष और कठिनाई से गुजरना पड़ता है। व्यक्ति को जिंदगी भर काम काज, स्वास्थ्य, नौकरी, व्यवसाय से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ता है और ऐसी परिस्थिति में उसे ज्योर्तिविद कालसर्प योग/दोष पूजा की सलाह देते हैं लेकिन 90 प्रतिशत जातक कहते हैं कि पूजा से लाभ नहीं हुआ और जीवन में संघर्ष बरकरार है और वे इसका कारण समझ नहीं पाते हैं।


इसका प्रमुख कारण होता है व्यक्ति की जन्मकुंडली में कालसर्प योग होने की वजह से उत्पन्न हुआ उसके घर में वास्तु दोष।


कालसर्प योग की वजह से घर में निम्नलिखित वास्तु दोष पाए जाते हैं-
घर का मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण पूर्व के बीच होना, उत्तर पूर्व के बीच होना, पश्चिम-उत्तर में होना।


घर के नार्थ ईस्ट में शौचालय, किचन, सीढ़िया या उत्तर पूर्व का कटा होना।


दक्षिण-पश्चिम में शौचालय का होना और साऊथ का नीचा होना या पूजा घर गलत जगह पर होना। साथ-साथ ही ब्रह्म स्थान में भी वास्तुदोष होना। जब कोई व्यक्ति घर खरीदता है या किराए पर घर लेता है तो उस व्यक्ति को घर उसके ग्रहों के अनुसार ही मिलते हैं यानी अगर जन्म कुंडली में ग्रह की स्थिति खराब है तो उसके घर में वास्तुदोष निश्चित ही पाए जाते हैं।


अगर जन्म कुंडली में राहू खराब हो और जैसी स्थिति राहू की होगी घर में टायलैट उसी जगह पर होती है और राहू की बुरी स्थिति होने की वजह से राहू की दशा अंतर्दशा में व्यक्ति को दोहरा कष्ट झेलना पड़ता है।

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