कामदा एकादशी: सांसारिक कामनाओं को पूरा करने के लिए कल का मंगलवार है खास

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 26 Mar, 2018 10:55 AM

kamada ekadashi 2018

मंगलवार दि॰ 27.03.18 को चैत्र शुक्ल ग्यारस के उपलक्ष्य में कामदा एकादशी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्रीहरि के वासुदेव स्वरूप का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में कामदा एकादशी को फलदा एकादशी कहकर संबोधित किया गया है।

मंगलवार दि॰ 27.03.18 को चैत्र शुक्ल ग्यारस के उपलक्ष्य में कामदा एकादशी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्रीहरि के वासुदेव स्वरूप का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में कामदा एकादशी को फलदा एकादशी कहकर संबोधित किया गया है। इसे श्री हरि का उत्तम व्रत कहा गया है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करके मनोनुकूल फल प्रदान कर फलदा कहलाती है व कामना पूर्ण करके कामदा कही जाती है। मान्यतानुसार कामदा एकादशी का व्रत रखने से व्रती को प्रेत योनि से मुक्ति मिल सकती है। 


विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी को समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए बेहद खास माना गया है। श्री कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर को इस एकादशी का महात्म समझाते हुए कहा था कि, कालांतर में भोगीपुर नगर के राजा 'पुण्डरीक' का दरबार किन्नरों व गंधर्वो के गायन व नृत्य से भरा रहता था। एक दिन ललित नामक गन्धर्व को दरबार में गान करते हुए अकस्मात पत्नी की याद आने से स्वर, लय व ताल बिगड़ने लगे। इस त्रुटि को राजा के सेवक कर्कट नाग ने राजा को बता दिया। क्रोधित राजा ने गन्धर्व ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। ललित सहस्त्रों वर्ष तक पत्नी ललिता सहित राक्षस योनि में घूमता रहा। एक दिन ललिता ने विन्ध्य पर्वत पर ऋष्यमूक ऋषि के पास जाकर अपने श्रापित पति के उद्धार का उपाय पूछा। इस पर ऋषि ने कामदा एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। ललिता ने श्रद्धापूर्वक बिना नमक व अन्न खाए कामदा एकादशी का पालन किया। जिसके प्रभाव से ललित का श्राप मिट गया और दोनों अपने गन्धर्व स्वरूप को प्राप्त हो गए। कामदा एकादशी के विशेष पूजन, उपाय व व्रत से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, समस्याओं का अंत होता है, भोग विलिसिता में वृद्धि होती है। 


विशेष पूजन विधि: घर की पूर्व दिशा में लाल वस्त्र बिछाकर भगवान वासुदेव का चित्र स्थापित करके विधिवत दशोपचार पूजन करें। शहद मिले गौघृत का 11 मुखी दीप करें, चंदन से धूप करें, लाल फूल चढ़ाएं, लाल चंदन से तिलक करें, तुलसीपत्र, ऋतुफल चढ़ाएं व दूध-शहद का भोग लगाकर किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग गाय को डाल दें।


पूजन मुहूर्त: प्रातः 10:55 से दिन 11:55 तक। 
पूजन मंत्र: ॐ नारायाणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥


उपाय
समस्याओं से मुक्ति हेतु कर्पूर के साथ लाल चंदन जलाकर श्री हरि की आरती करें।


भोग विलिसिता में वृद्धि हेतु भगवान वासुदेव पर चढ़े खजूर बच्चों में बांटे।


सर्व कामनाओं कि पूर्ति हेतु श्रीवासुदेव के निमित केसर मिले घी के 11 दीप जलाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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