कामदा एकादशी: 27 मार्च का मंगलवार है खास, हर कामना पूरी करेगा ये काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Mar, 2018 01:02 PM

kamada ekadashi 27th march

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा के नाम से प्रसिद्घ है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की अमावस्या भारतीय संवत की अंतिम तिथि होती है तथा नवरात्रों के पश्चात नववर्ष की यह पहली एकादशी 27 मार्च को है। जिसका व्रत करने से मनुष्य की सभी कामनाओं की...

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा के नाम से प्रसिद्घ है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की अमावस्या भारतीय संवत की अंतिम तिथि होती है तथा नवरात्रों के पश्चात नववर्ष की यह पहली एकादशी 27 मार्च को है। जिसका व्रत करने से मनुष्य की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।


कैसे करें एकादशी व्रत- किसी भी व्रत को करने से पहले उसके लिए मन में पवित्रता और श्रद्घा का भाव अवश्य होना चाहिए तथा भगवान का व्रत करने के लिए पहले दिन प्रभु से व्रत करने की प्रार्थना करते हुए संकल्प करना चाहिए। भगवान मनुष्य को प्रत्येक कर्म करने के लिए शक्ति देते हैं और संसार में जीव के सभी कर्म भी प्रभु की कृपा से ही पूरे होते हैं। भगवान अपने भक्तों की भावना से ही रीझते हैं, उन्हें किसी की धन दौलत, सुख और ऐश्वर्य से कोई सरोकार नहीं है। व्रत करने के लिए प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान का धूप, दीप, नेवैद्य और मौसम के फलों से पूजन करना चाहिए तथा इस व्रत में भगवान श्रीकृष्ण का विधिवत पूजन किया जाता है और व्रत के पुण्यफल के प्रभाव से राक्षस योनि तक से मुक्ति मिल सकती है। 


व्रत में दान देना श्रेष्ठ एवं उत्तम कर्म है तथा रात को भगवान के मंदिर में दीपदान और प्रभु नाम का संकीर्तन अवश्य करते हुए अपना अधिक से अधिक समय प्रभु नाम की चर्चा करने में बिताना चाहिए। व्रत मंगलवार को है इसलिए भगवान को गेंदे के फूल की माला अर्पण करें तथा केसरी रंग की वस्तुओं का दान करें तथा गाय को गुड़ खिलाना सभी राशियों के जातकों के लिए उत्तम एवं श्रेष्ठ कर्म है।


व्रत में क्या न करें- इस व्रत में किसी की निंदा-चुगली नहीं करनी चाहिए तथा न ही किसी के प्रति ईर्ष्या और द्वेष का भाव रखना चाहिए। मन में दान करते समय किसी प्रकार के कर्ता के भाव का अभिमान कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि भगवान को घमण्ड पसंद नहीं है।  


क्या कहते हैं विद्वान- अमित चड्डा के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है और जो भक्त नियमानुसार श्रद्घा भाव से एकादशी व्रत करते हैं उन पर भगवान की कृपा सदा बनी रहती है परंतु एकादशी व्रत तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक उसका द्वादशी को निश्चित समय पर अन्न आदि वस्तु खाकर पारण न किया जाए। उनके अनुसार व्रत का पारण 28 अप्रैल को प्रात: 9.42 से पहले किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकादशी के दिन भगवान के बारे में श्रवण कीर्तन करने से अन्य दिनों की अपेक्षा करोड़ों गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होता है।

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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