अपनी परछाईं को न पकड़ने से परेशान कान्हा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 09:50 AM

kanha disturbed by not holding his shadow

किलकत कान्ह धुटुरुवनि आवत। मनिमय कनक नंद कै आगन, बिंब पकिखै धावत।।

किलकत कान्ह धुटुरुवनि आवत।

मनिमय कनक नंद कै आगन, बिंब पकिखै धावत।।

कबहुं निरखि हरि आपु छाेह कौ, कर सौ पकरन चाहत।

किलहि हंसत राजत दै् दतियां, पुनि-पुनि तिहि अवदाहत।।

करम-भूमि पर कर-पग-छाया, यह उपमा इक राजित।

करि करि प्रतिपद मनि बसुधा, कमल बैठकी साजित।।

 

एक दिन की बात है कि कान्हा घुटनों के बल रत्नों और मणियों से आंगन में खेल रहे थो। जब उन्होंने अपनी परछाईं को आंगन में देखा तो वे उसे अपनी ही सूरत वाला अपना मित्र समझ कर परड़ने के लिए चेष्ठा करने लगे। बार-बार बाथ मारते, पूरी ताकत लगाकर अंगुलियों से पकड़ते लेकिन पकड़ नहीं पाते। आगे बढ़ते, पीछे जाते, इधर-उधर घूमते , परंतु परछाी बराबर उन्हीं के साथ लगी रहती। भला अपनी परछाईं ककहां छोड़कर चली जाए। जब थककर हार गे, किसी भी प्रकार से न पकड़ सके तो बड़े दुखी हो गए। परछाईं की करफ देखा तो वह भी दुखी ही दिखाई दी। अब श्याम सुंदर क्या करें।


अभी नन्हे सेदुलारे तो थे, ठीक से खड़े होना तक नहीं जानते थे। घुटनों के बल आंगन में खेला करते थे।बेचारे क्या करते, बड़े उदास हो गए। पास ही माता यशोदा खड़ी देख रही थीं। अब वे असहाय से होकर माता के मुख की ओर देखने लगे। उनकी आंखे डबडबा आई, वे मैया का अांचल पकड़कर सुबुक-सुबुक कर रोने लगे। ठीक से बोल भी तो नहीं पाते थे, जो अपना दुख माता को सुनाते। कान्हा के मुख की वैसी शोभा देखकर माता अवाक् खड़ी रहीं, क्या करतीं परछाईं को पकड़ना उनके भी वश में नहीं था। जब लीला हारी ही लीला कर रहे हों तो फिर कौन कुछ कर सकता है?
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!