Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Nov, 2020 07:20 AM
कल रविवार, 29 नवंबर को कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन को देवताओं की दिपावली कहा जाता है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। देव दिवाली का पर्व दीपावली के 15 दिन बाद मनाने का विधान है।
Dev Deepawali 2020: कल रविवार, 29 नवंबर को कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन को देवताओं की दिपावली कहा जाता है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। देव दिवाली का पर्व दीपावली के 15 दिन बाद मनाने का विधान है। भगवान श्री कृष्ण ने इस मास की व्याख्या करते हुए कहा है,‘पौधों में तुलसी मुझे प्रिय है, मासों में कार्तिक मुझे प्रिय है, दिवसों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मेरे हृदय के निकट है।’
Dev Diwali 2020: तभी तो कार्तिक मास में श्री हरि के साथ तुलसी और शालीग्राम की पूजा से पुण्य मिलता है तथा पुरुषार्थ चातुष्ट्य की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक मास में गौवत्स द्वादशी या पूरे माह में योग्य ब्राह्मण को गौदान करने वाले व्यक्ति को नरक का मुंह नहीं देखना पड़ता तथा नारकीय यातनाएं नहीं सहनी पड़तीं। पूरे कार्तिक मास तक तुलसी की पूजा करनी चाहिए तथा विष्णु व लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने चाहिए।
Dev Diwali importance: इसके अतिरिक्त सारा दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानि बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा को शैव मत में जितनी मान्यता मिली है, उतनी ही वैष्णव मत में भी प्राप्त है।
Dev Diwali puja vidhi: पूजन विधि
तारों की छाव में गंगा, यमुना, सरस्वती नदियों व पवित्र सरोवरों में स्नान करने से सैंकड़ों फलों की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद विधिपूर्वक भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से विशेष फल मिलता है।
Dev Diwali prepration: इसी प्रकार सायंकाल में देव मन्दिरों, चौराहों, पीपल तथा तुलसी के पौधों के पास दीप जलाने से भी पुण्य फलों की प्राप्ति एवं पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है व पापों का नाश होता है।
Kartik Purnima: कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों, निर्धनों एवं ब्राह्मणों को भोजन एवं दान देने, माता-पिता एवं बड़े बुजुर्गों का चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लेने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।