Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 12:03 PM
नाम हमें ऐसा रखना चाहिए कि कुछ तात्पर्य या अर्थ निकले लेकिन आजकल आधुनिकता और देखादेखी की दौड़ में हम अपने बच्चों का नाम कुछ भी रख देेते हैं, चाहे उसका अनर्थ हो रहा हो। यदि नामकरण में असुविधा या अनिश्चितता हो तो गुरु, ज्योतिषी अथवा संतों का आश्रय...
नाम हमें ऐसा रखना चाहिए कि कुछ तात्पर्य या अर्थ निकले लेकिन आजकल आधुनिकता और देखादेखी की दौड़ में हम अपने बच्चों का नाम कुछ भी रख देेते हैं, चाहे उसका अनर्थ हो रहा हो। यदि नामकरण में असुविधा या अनिश्चितता हो तो गुरु, ज्योतिषी अथवा संतों का आश्रय लेना चाहिए कि अपने नाम के अनुरूप कर्म करें। रामायण में भी नामकरण गुरु वशिष्ठ द्वारा किया गया। श्रीमद्भागवत में भी कृष्ण व बलराम का नामकरण भी गुरु ने किया। अत: आज भी हमें उन नामों को पुकारने में आनंद मिलता है। पहले लोग भले ही ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे परन्तु उनकी सोच में ज्यादा ही गहराई एवं दूरदर्शिता थी और बालकों के नाम भगवान ईष्टों, देवता या तीर्थों के नाम से रखते थे। कलयुग में नाम का विशेष महत्व है तो बालकों के नाम के साथ भगवान का स्मरण भी हो जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा बच्चे की कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी से बच्चे की नाम राशि का पता चलता है। किसी भी शुभ मुहूर्त के विचार के समय कुंडली में चंद्रमा के बल को बहुत महत्व दिया जाता है जन्म समय में चंद्रमा की ताकत को 100 प्रतिशत देखा जाता है।
बच्चे के गुणों को उभारें, उन्हें भाग्य के भरोसे न छोड़कर संस्कारी बनाने पर अधिक जोर दें, वरना बच्चे की सोच इससे प्रभावित होगी। भाग्य का अपना स्थान है, लेकिन कर्म भी उतना ही जरूरी है जीवन में आगे बढऩे के लिए। जन्म समय में जिस ग्रह का बच्चे के जीवन में प्रभाव होगा, उसे संवारने का प्रयास करें।