Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 01:03 PM
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा का महत्व है। ऐसा कहते हैं कि उनका जन्म मंगलवार के दिन हुआ था। शनिदेव को उन्होंने युद्ध में हराया था और शनि ने इनको वचन दिया था कि जो व्यक्ति शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करेगा उसे शनि का कष्ट नहीं होगा।...
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा का महत्व है। ऐसा कहते हैं कि उनका जन्म मंगलवार के दिन हुआ था। शनिदेव को उन्होंने युद्ध में हराया था और शनि ने इनको वचन दिया था कि जो व्यक्ति शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करेगा उसे शनि का कष्ट नहीं होगा। तुरंत फलदायक है हनुमान जी की पूजा, बरतें सावधानी
हनुमान चालीसा पाठ
भक्तों को 108 बार गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करना चाहिए। पाठ शुरू करने से पहले रामरक्षास्तोत्रम् का पाठ अवश्य करें। अगर एक बैठक में 108 बार चालीसा पाठ न हो सके तो इसे दो बार में पूरा कर सकते हैं।
हनुमान जी की पूजा पद्धति से संबंधित कुछ विचारणीय तथ्य
हनुमान जी की प्रतिमा पर तेल एवं सिंदूर चढ़ाया जाता है। उन्हें फूल भी पुरुषवाचक जैसे गुलाब, गेंदा आदि चढ़ाना चाहिए। सुंदरकांड या रामायण के पाठ से वे प्रसन्न होते हैं। प्रसाद के रूप में चना, गुड़, केला, अमरूद या लड्डू चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी को लाल फूल प्रिय हैं। अत: पूजा में लाल फूल ही चढ़ाएं।
मूर्त को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तेल मिलाकर उनको लगाना चाहिए।
साधना हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही शुरू करनी चाहिए।
सावधानी
हनुमान जी की पूजा-अर्चना और व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए अर्थात संयमपूर्वक रहना चाहिए।
पूजा में चरणामृत का उपयोग न करें। शास्त्रों में इसका विधान नहीं है।
प्रसाद शुद्ध होना चाहिए।
दीपक और प्रसाद में शुद्ध घी का ही प्रयोग करें।