इंदौर नगरी में विराजमान हैं गणपति बप्पा, उल्टा स्वस्तिक बनाने से पूर्ण होती है मन्नत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 10:46 AM

khajrana ganesh temple in indore

भगवान गणेश को रिद्धि सिद्धि अौर बुद्धि का देवता कहा जाता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। पूरे भारत में गणेश जी के कई

भगवान गणेश को रिद्धि सिद्धि अौर बुद्धि का देवता कहा जाता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। पूरे भारत में गणेश जी के कई मंदिर स्थित हैं। हर मंदिर की अपनी-अपनी खासियत है, लेकिन गणेश जी का एक ऐसा मंदिर है, जहां मन्नत मांगने पर भक्त श्रीगणेश की प्रतिमा में स्वास्तिक का उल्टा चिंह बनाते हैं। उसके बाद मन्नत पूर्ण होने पर मंदिर जाकर स्वास्तिक का चिंह सीधा बनाते हैं। मध्य़ प्रदेश की इंदौर नगरी में खजराना गणेश मंदिर स्थित है। 
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उल्टा स्वास्तिक बनाने से पूर्ण होती है मनोकामना
इस मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। माना जाता है कि गणेश जी की प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से मन्नत पूर्ण होती है। जब मन्नत पूर्ण हो जाती है तो भक्त मंदिर में आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। इसके साथ ही श्री गणेश को लड्डूअों का भोग लगाते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार भक्त मंदिर की तीन परिक्रमा लगाते हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवार पर धागा बांधते हैं। 
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होल्कर वंश की महारानी ने करवाई थी मंदिर की स्थापना
कहा जाता है कि गणेश जी की प्रतिमा एक स्थानीय पंड़ित मंगल भट्ट को सपने में दिखी थी। सपने के बाद रानी आहिल्याबाई होल्कर ने खुदाई कर जमीन के नीचे से प्रतिमा निकलवाकर स्थापना करवाई थी। जहां से प्रतिमा निकली थी, वहां पर आज एक जलकुंड है। जो मंदिर के ठीक सामने है। 
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यहां हैं 33 मंदिर
मंदिर परिसर में भगवान शिव अौर मां दुर्गा के मंदिर सहित छोटे-बड़े कुल 33 मंदिर है। यहां एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है, जिसके बारे में माना जाता है कि यहां पर मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर को अन्य धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां पर अॉनलाइन दान देने की व्यवस्था भी शुरु हो चुकी है।  

बुधवार का है विशेष महत्व
बुधवार के दिन श्रीगणेश पूजा का विधान है। जिसके कारण हर बुधवार मंदिर में विशेष पूजा अौर आरती होती है। जिसमें सम्मलित होने के लिए दूर-दूर से भक्त् आते हैं। जब भी विवाह, जन्मदिन जैसा कोई शुभ कार्य होता है तो भक्त सबसे पहले भगवान गणेश को तिलक लगाते हैं। गणेश जी को निमंत्रण न भेजने से कार्यक्रम अधूरा माना जाता है। 

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