PIX:राधा-कृष्ण ने किया था इन कुंडों का निर्माण, स्नान से भरती है सुनी गोद

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2017 04:01 PM

krishna kund and radha kund in mathura

मथुरा के पास अरिता नाम के गांव में एक सरोवर है। जिसे राधा कुंड कहा जाता है। इस कुंड के विषय में माना जाता है कि यदि किसी को संतान नहीं होती तो वे अहोई अष्टमी की आधी रात

मथुरा के पास अरिता नाम के गांव में एक सरोवर है। जिसे राधा कुंड कहा जाता है। इस कुंड के विषय में माना जाता है कि यदि किसी को संतान नहीं होती तो वे अहोई अष्टमी की आधी रात को इस कुंड में स्नान करें तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। कुंड से संबंधित एक कथा के अनुसार कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था। अरिष्टासुर बछड़े का रुप लेकर श्रीकृष्ण की गायों में शामिल हो गया अौर ग्वालों को मारने लगा था। भगवान श्रीकृष्ण ने बछड़े के रुप में छिपे दैत्य को पहचान लिया। श्रीकृष्ण ने उसको पकड़कर जमी पर पटक पटककर उसका वध कर दिया। यह देखकर राधा ने श्रीकृष्ण से कहा कि उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है। इस पाप से मुक्ति हेतु उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए। राधा की बात सुनकर श्रीकृष्ण ने देवर्षि नारद से इसका उपाय पूछा। देवर्षि नारद ने उन्हें उपाय बताया कि वह सभी तीर्थों का आह्वान करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन तीर्थों के जल को एकसाथ मिलाकर स्नान करें। जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। देवर्षि के कहने पर श्रीकृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान करके पापमुक्त हो गए। उस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है, जिसमें स्नान करके श्रीकृष्ण गौहत्या के पाप से मुक्त हुए थे।

 

माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था। देवर्षि नारद के कहने पर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक छोटा सा कुंड खोदा अौर सभी तीर्थों के जल से उस कुंड में आने की प्रार्नाथ की। श्रीकृष्ण के आवाह्न पर सभी तीर्थ वहां जल रुप में आ गए। माना जाता है कि तभी से सभी तीर्थों का अंश जल रुप में यहां है। श्रीकृष्ण द्वारा बना कुंड को देख राधा ने भी उस कुंड के पास ही अपने कंगन से एक अौर छोटा सा कुंड खोदा। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उस कुंड को देखा तो उन्होंने प्रतिदिन उसमें स्नान करने व उनके द्वारा बनाए कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध होने का वरदान दिया। देवी राधा द्वारा बनाए कुंड राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। माना जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि को इन कुंडों का निर्माण हुआ था। जिसके कारण अहोई अष्टमी को यहां स्नान करने का विशेष महत्व है। प्रति वर्ष यहां बड़ी संख्या में भक्त स्नान हेतु आते हैं। यहां स्नान करने से व्यक्ति की संपूर्म मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इन कुंड़ों की विशेषता यह है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला अौर राधा कुंड का जल सफेद दिखाई देता है। इसे श्रीकृष्ण के काले वर्ण व देवी राधा के गोरे वर्म होने का प्रतीक माना जाता है। 

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