गरुड़ पुराण: जो बहू-बेटी रखती है इन 4 बातों का ध्यान, वो होती है लक्ष्मी का रूप

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2016 10:24 AM

lakshmi  garuda purana

सनातन धर्म के अठारह पुराणों में गरुड़ महापुराण को खास स्थान प्राप्त है। हिन्दू धर्म में जब कोई मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसकी सद्गति के लिए गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस ग्रंथ में

सनातन धर्म के अठारह पुराणों में गरुड़ महापुराण को खास स्थान प्राप्त है। हिन्दू धर्म में जब कोई मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसकी सद्गति के लिए गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस ग्रंथ में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त घर की बहू-बेटी के संबंध में कुछ ऐसे गुणों का वर्णन किया गया है, जो घर में लक्ष्मी का रूप होती हैं।

 

जो बहू-बेटी रखती है इन 4 बातों का ध्यान, वो होती है लक्ष्मी का रूप


चरित्रहीन लोगों से मेल-जोल रखने वाली स्त्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे पुरुष अपने निजी हित के लिए स्त्री का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकर के पुरुष की संगति का असर स्त्री पर भी हो जाता है, जिसका अंत अच्छा नहीं होता। इस प्रकार की स्त्रियों को परिवार अौर समाज वाले भी धिक्कारते हैं अौर उन्हें कहीं भी स्वीकारा नहीं जाता। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।


बचपन में स्त्री की रक्षा उसका पिता, शादी के बाद उसका पति अौर बुढ़ापे में उसका बेटा करता है। विवाह के पश्चात स्त्री को प्रत्येक परिस्थिति में अपने पति के साथ ही रहना चाहिए। प्रत्येक दुख में उसका साथ देना चाहिए। पति से अलग अौर अपनी मर्जी से प्रत्येक कार्य करने वाली स्त्री के कार्यों का प्रभाव उसके बच्चों पर भी पड़ता है। जिससे उनका भविष्य कष्टों से भर जाता है। पति से अलग रहने वाली स्त्री को कोई भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता।


जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सुख और आनंद ऐसे इत्र हैं, जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़केंगे, उतनी ही सुगंध आपके भीतर समाएगी। दूसरों के प्रति प्रेम भाव, सेवा-परोपकार, उदारता और मधुरता का व्यवहार मानव जीवन को तनाव से मुक्त कर देता है लेकिन ऐसा ही व्यवहार आपका अपने पारिवारिक सदस्यों के प्रति होगा तो सोने पे सुहागे का काम करेगा। 
 
 
महिलाओं को कभी भी किसी पराए घर में नहीं रहना चाहिए। जो स्त्री पराए घर में रहती है उसे समाज में गलत न होते हुए भी गलत समझा जाता है। देवी सीता के अग्नि परिक्षा देने पर भी समाज ने उन पर बहुत से आरोप लगाएं। श्रीराम को अपनी प्राण प्रिया को स्वयं से अलग करना पड़ा। 

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