ज्योतिष से जानें क्या आपकी Destiny में है खुद के मकान का योग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 05:59 PM

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चाहे छोटा या बड़ा हर इंसान का यह सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो। लेकिन इस बात का पता लगा पाना मुश्किल होता है कि उसके नसीब में घर का सुख है या नहीं। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी भी तरह से अपना घर बनवाना चाहता होता है,

चाहे छोटा या बड़ा हर इंसान का यह सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो। लेकिन इस बात का पता लगा पाना मुश्किल होता है कि उसके नसीब में घर का सुख है या नहीं। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी भी तरह से अपना घर बनवाना चाहता होता है, इसके लिए वह हर तरह का प्रयास भी करता है। परंतु किसी का यह सपना पूरा होता है तो किसी का अपना घर बनाने का सपना अधूरा रह जाता है। जहां कुछ लोग अपना घर बनवाने की तमाम कोशिशें करने के बावजूद सफल नहीं हो पाते। वहीं कुछ लोग एेसे होते हैं जिन्हें इस बारे में कभी सोचने तक की कोशिश नहीं करनी पड़ती क्योंकि उन्हें ये सारी सुख-सहूलत विरासत में मिली होती हैं। 


लेकिन आखिर एेसा क्यों होता है यह एक विचारणीय प्रश्न माना जाता है। आपको अब इस पर और विचार करने की और आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसका उत्तर आपको  ज्योतिष में मिल सकता है। 


किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मौजूद ग्रह इत्यादि से फलादेश किया जा सकता है कि अमूक जातक अपने सपनों का घर बना पाएगा या नहीं। कुंडली के भाव एवं ग्रह स्थिति किसी जातक को अपना मकान बनाने में सफलता मिलेगी या नहीं, इसके लिए सबसे अहम माना जाता है कुंडली का चतुर्थ भाव। यह भाव भूमि-भवन-संपत्ति का भाव होता है। यह भाव जितना बली होता है, उतने ही भवन निर्माण होने के योग प्रबल होते हैं। इसके साथ ही इस भाव का स्वामी यानी चतुर्थेश के साथ इस भाव में बैठा ग्रह होता है।


इस भाव का स्वामी मंगल है, जिसकी स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इस भाव के साथ ही भूमि और भवन का कारक मंगल ही होता है। वैसे, यदि मंगल अकेला इस भाव में हो तो भी अच्छे परिणाम नहीं देता। ऐसा जातक का अगर मकान बन भी जाए तो भी वह परेशान ही रहता है। इसलिए मंगल का शुभ और बली होना आवश्यक माना जाता है। साथ ही, निर्माण के कारक ग्रह शनि से इस भाव का संबंध भी शुभ हो। तब जातक को मकान बनाने और उसका सुख भोगने में बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता।

 

कब बनेगा मकान
ज्योतिष में मंगल को भूमि एवं भवन के साथ चतुर्थ भाव का कारक माना गया है, तो शनि को किसी भी प्रकार के निर्माण का कारक है। इसलिए मंगल और शनि की दशा एवं अंतर्दशा मकान बनाने के समय को बताती है। यानी जिस अवधि में मंगल एवं शनि का संबंध चतुर्थ यानी मकान के भाव से या फिर चतुर्थेश से बनता है उस अवधि में मकान बनने के योग होते हैं।


विदेश में घर जब चतुर्थ भाव या चतुर्थेश का संबंध द्वादश भाव या द्वादशेश से बनता है, तो ऐसा जातक अपने जन्मस्थान से दूर अन्य शहर में या विदेश में भी अपना मकान बना सकता है। इसमें यह देखना आवश्यक है कि मंगल, शनि, चतुर्थेश, द्वादशेश और बृहस्पति का संबंध कैसा बन रहा है। इनके शुभ होने की स्थिति में विदेश में सपनों का आशियाना बनने के योग बन सकते हैं।


पैतृक संपत्ति
कई एेसे जातक भी पाए जाते हैं, जिन्हें पैतृक संपत्ति तो मिल जाती है, परंतु वे उसके सुख से सदैव वंचित रह जाते हैं। एेसे लोगों के किस्से बन जाते हैं क्योंकि अपनी संपत्ति होते हुए भी उन्हें उससे वंचित कर दिया जाता है या फिर एेसा कह सकते हैं कि अपने कर्मों के कारण वह उसे गंवा बैठते है। 


ऐसे में यह देखना आवश्यक है कि कुंडली में बृहस्पति का अष्टम भाव और अष्टमेश का कैसा संबंध निर्मित हो रहा है। यदि यह संबंध शुभ है तो ऐसे जातक अवश्य पैतृक संपत्ति प्राप्त करते हैं और उसका सुख भी भोग सकते हैं। इसके विपरीत फल ऐसे जातक को मिलते हैं जिसकी कुंडली में बृहस्पति का अष्टम भाव से अशुभ संबंध बन रहा हो।


तो ये थे कुछ ऐसे योग जो किसी जातक का अपना घर बनेगा या नहीं, बनेगा तो कब, कहां और कैसा इस प्रश्नों का उत्तर देते हैं। 

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