एक क्लिक में जानें आप संत हैं या पापी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Aug, 2017 03:18 PM

learn in a click you are saint or sinner

एक संत नौका में सवार होकर गंगा पार कर रहे थे। जिस नौका में वह बैठे थे उसका नाविक नशे में धुत्त था। वह ठीक ढंग से नौका चला भी नहीं पा रहा था।

एक संत नौका में सवार होकर गंगा पार कर रहे थे। जिस नौका में वह बैठे थे उसका नाविक नशे में धुत्त था। वह ठीक ढंग से नौका चला भी नहीं पा रहा था। संत ने उसे समझाया, ‘‘भइया नशा करके नौका नहीं चलानी चाहिए। नशा शरीर और बुद्धि दोनों का नाश कर देता है। किसी दिन नशे में तुम नौका को ही डुबो दोगे।’’ 


नाविक दुष्ट व्यक्ति था। संत की बात सुनकर वह गुस्से से तिलमिला उठा। उसने संत की बाजू पकड़ ली और बोला, ‘‘बाबा उपदेश मत दो अन्यथा तुझे ही गंगा में फैंक दूंगा।’’


उसने संत को खूब अपमानित किया। उसी समय आकाशवाणी हुई, ‘‘संत का अपमान हुआ है। इसके दंड स्वरूप नौका गंगा में डूबने वाली है।’’ 


नैया डगमगाने लगी और उस पर से नाविक का नियंत्रण जाता रहा। संत ने एक पल गंवाए बिना भगवान से प्रार्थना की, ‘‘भगवान, यह बेचारा नादान है। नशे की हालत में यह अपना बुद्धि-विवेक गंवा चुका है। यह नौका ही इसके परिवार के जीवनयापन का साधन है। इसके डूबने से इसके बाल-बच्चे भूखे मर जाएंगे। इसे क्षमा करें।’’


पुन: आकाशवाणी हुई, ‘‘तो आप ही बताएं कि आप जैसे संत का अपमान करने के अपराध में इस नाविक को क्या दंड दिया जाए?’’


संत बोल उठे, ‘‘प्रभु! आप तो पूर्व सक्षम, दयावान तथा प्रत्येक जीव का कल्याण करने वाले हैं। प्रभु, आप सब कुछ कर सकते हैं। क्यों न इसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर देते जिससे इसकी बुद्धि ठीक हो जाए। यह नशा व क्रोध का त्याग कर अच्छा इंसान बन जाए।’’ 


धीरे-धीरे नौका अपनी स्थिति में आ गई। अपमानित करने के बावजूद, उसका भला चाहने वाले संत की वाणी सुनकर नाविक पानी-पानी हो गया। तब तक नौका गंगा के दूसरे तट पर पहुंच चुकी थी। नाविक ने गलती के लिए संत से क्षमा मांगी और फिर से ऐसा न करने का व्रत लिया।

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