पांचवा नवरात्र नैना देवी Live: साक्षात करें मां के नयनों का दर्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 11:22 AM

live darshan of naina devi

आज पांचवें नवरात्र पर देवी स्कंदमाता के पूजन का विधान है।

आज पांचवें नवरात्र पर देवी स्कंदमाता के पूजन का विधान है। पंजाब केसरी टीम आज आपको लाइव दर्शन करवाएगी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर का। जाे कि शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित एक भव्य मंदिर है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल हैं और हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।  

मंदिर की कथा
मंदिर के इतिहास से संबंधित बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। जब देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ में स्वयं को भस्म कर लिया तो भगवान शिव तांडव करने लगे। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में काट दिया। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। यहां साक्षात मां के नयनों का दर्शन होता है।   

यहां की लोक मान्यता के अनुसार एक गुज्जर लड्का जिसका नाम नैना राम था, अपने गांव में मवेशियों को चराया करता था। एक दिन उसने देखा की एक सफेद गाय के थनों से अपने आप दूध निकल कर एक पत्थर पर गिर रहा है और पत्थर द्वारा उसे सोखा जा रहा है। यह क्रिया उसे प्रतिदिन दिखने लगी। एक रात्रि मां ने सपने में उसे दर्शन दिए और बताया की वो सामान्य पत्थर नहीं अपितु मां की पिंडी है। यह बात नैना राम ने उस समय के राजा बीर चंद को बताई और राजा ने मां नैना देवी के मंदिर का निर्माण करवाया।

सिख गुरु गोबिंद सिंह जी ने जब मुगलों के खिलाफ अपना सैन्य अभियान चलाया तो मां नैना देवी का आशीष प्राप्त करने के लिए महायज्ञ किया। मां के आशीर्वाद से मुगलों के दांत खट्टे कर विजय श्री को प्राप्त किया।

मां नैना देवी मंदिर 'महिशपीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर नैना देवी जी ने दैत्य महिषासुर का वध किया था।

मुख्य दर्शनीय स्थल
मां के मंदिर में पीपल का पेड़ मुख्य आकषर्ण का केन्द्र है जो कि अनेकों शताब्दियों पुराना है। मंदिर के मुख्य द्वार के दाईं ओर भगवान गणेश और हनुमान कि प्रतिमाएं हैं। मुख्य द्वार को पार करने के पश्चात आपको दो शेरों की मूर्तियां दिखाई देंगी। मंदिर के र्गभ ग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां हैं। दाई तरफ माता काली की, मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान गणेश की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदिर के समीप ही में एक गुफा है, जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।

कैसे पहुंचे
मां नैना देवी मंदिर लुधियाना से 125 कि.मी. की दूरी पर है। सबसे पास का हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब पड़ता है, जहां से मंदिर 30 कि.मी. की दूरी पर है। आनंदपुर साहिब से टैक्सी या बस मंदिर जाने के लिए मिल जाती है।


 

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