भगवान महावीर स्वामी के अनमोल विचारों पर करें अमल, जीवन को मिलेगी सही दिशा

Edited By ,Updated: 09 Apr, 2017 04:37 PM

lord mahavir swami

हिन्दू और जैन पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल-त्रयोदशी के दिन महावीर जयंती मनाई जाती है। उन्होंने ‘अहिंसा परमोधर्म’ के सिद्धांत और लोक कल्याण का मार्ग

हिन्दू और जैन पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल-त्रयोदशी के दिन महावीर जयंती मनाई जाती है। उन्होंने ‘अहिंसा परमोधर्म’ के सिद्धांत और लोक कल्याण का मार्ग अपना कर विश्व को शांति का संदेश दिया। यहां महावीर जी के कुछ अनमोल विचार दिए गए हैं, जिन्हें मानने से जीवन को सही दिशा मिलती है। 

किसी के अस्तित्व को न मिटाअो, स्वयं भी शांतिपूर्वक जियो अौर दूसरों को भी जीने दो। 

'अहिंसा परमो धर्म' अर्थात अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। महावीर जी के अनुसार शांति और आत्म-नियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है।

महावीर जी के अनुसार आपने कभी कोई भला कार्य किया है तो उसे भूल जाअो। उसी प्रकार यदि किसी ने आपका बुरा किया है तो उसे भी भूल जाअो।

प्रत्येक जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव रखना ही अहिंसा है। दूसरों से घृणा करने से व्यक्ति का विनाश होता है। सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान रखना अहिंसा है। 

सभी अपने स्वयं के दोष के कारण दुखी होते हैं। महावीर जी के अनुसार वे अपनी गलतियों को सुधारकर सुखी हो सकते हैं। 

आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं। वे शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत। खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से अच्छा है, स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेता है उसे आनंद की प्राप्ति होती है। 

'एगा धम्म पडिमा, जं से आया पवज्जवजाए' अर्थात धर्म एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान है जिससे आत्मा का शुद्धिकरण होता है। मनुष्य को अपने जीवन में धर्म को धारण करना चाहिए।

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