Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jan, 2018 11:50 AM
शुक्रवार दि॰ 26.01.18 को माघ शुक्ल नवमी को गुप्त नवरात्र के अंतर्गत नवम दुर्गा देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व व वशित्व यह आठों सिद्धियां सिद्धिदात्री से ही...
शुक्रवार दि॰ 26.01.18 को माघ शुक्ल नवमी को गुप्त नवरात्र के अंतर्गत नवम दुर्गा देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व व वशित्व यह आठों सिद्धियां सिद्धिदात्री से ही उत्पन्न हैं। महादेव ने इन्हीं से ही मिलकर सर्व सिद्धियों को प्राप्त कर अर्धनारीश्वर रूप लिया था। शास्त्रनुसार केतु ग्रह व उर्वर्ध दिशा की स्वामिनी देवी सिद्धिदात्री का रूप परम सौम्य है, चतुर्भुजी देवी सिद्धिदात्री ऊपरी दाईं भुजा में चक्र धारण कर ब्रह्माण्ड का जीवनचक्र चलाती हैं। निचली दाईं भुजा में गदा धारण कर दुष्टों का दलन करती हैं। ऊपरी बाईं भुजा में शंख धारण कर ब्रह्माण्ड में धर्म स्थापित करती है व निचली बाईं भुजा में कमल धारण कर ब्रह्माण्ड का पालन करती हैं। स्वर्ण आभूषण से सुसज्जित, रक्त वर्ण वस्त्र धारिणी कमलासना देवी सिद्धिदात्री सिंघरूड़ा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार देवी सिद्धिदात्री व्यक्ति की कुंडली के द्वादश और द्वितीय भाव पर अपनी सत्ता से व्यक्ति के सौभाग्य, हानि, व्यय, सिद्धि, धन, सुख व मोक्ष पर अपना स्वामित्व रखती हैं। सिद्धियों की प्राप्ति होती है, व्यक्ति का हानि से बचाव होता है और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
विशेष पूजन विधि: घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गुलाबी कपड़े पर देवी सिद्धिदात्री का चित्र स्थापित करके विधिवत पूजन करें। नारियल तेल में इत्र मिलाकर दीप करें, धूप करें, लाल-सफेद दो रंग के फूल चढ़ाएं, भभूत से तिलक करें, चने व हलवे का भोग लगाएं व चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।
पूजन मुहूर्त: प्रातः 10:15 से प्रातः 11:15 तक।
पूजन मंत्र: ॐ सिद्धिदायिनी देव्यै: नमः॥
उपाय
हानि से बचाव हेतु मौली में बंधी 12 कुशा देवी सिद्धिदात्री पर चढ़ाएं।
पारिवारिक सुख में वृद्धि हेतु सिद्धिदात्री की कर्पूर-चंदन से आरती करें।
सिद्धियों की प्राप्ति हेतु देवी सिद्धिदात्री पर कमल का फूल चढ़ाएं।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com