Edited By ,Updated: 09 Feb, 2017 11:48 AM
माघी पूर्णिमा के दिन वीणावादिनी, शुभ्रवसना, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती का आह्वान करने के लिए बहुत शुभ है। वेदों में
माघी पूर्णिमा के दिन वीणावादिनी, शुभ्रवसना, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती का आह्वान करने के लिए बहुत शुभ है। वेदों में सरस्वती का वर्णन श्वेत वस्त्रा के रूप में किया गया है। यानी वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं जो हमें प्रेरणा देते हैं कि हम अपने भीतर सत्य अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करुणा, प्रेम व परोपकार आदि सद्गुणों को बढाएं और काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार आदि दुर्गुणों से स्वयं को बचाएं। श्वेत पुष्प व मोती इनके आभूषण हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें वीणा, पुस्तक और अक्षरमाला है। उनका वाहन हंस है तथा श्वेत कमल गुच्छ पर यह विराजमान हैं। वेद इन्हें जलदेवी के रूप में महत्ता देते हैं, एक नदी का नाम भी सरस्वती है।
पुराणों में मां सरस्वती को कमल पर बैठा दिखाया जाता है। कीचड़ में खिलने वाले कमल को कीचड़ स्पर्श नहीं कर पाता। इसीलिए कमल पर विराजमान मां सरस्वती हमें यह संदेश देना चाहती हैं कि हमें चाहे कितने ही दूषित वातावरण में रहना पड़े, परंतु हमें खुद को इस तरह बनाकर रखना चाहिए कि बुराई हम पर प्रभाव न डाल सके। मां सरस्वती की पूजा-अर्चना इस बात की द्योतक है कि उल्लास में बुद्धि व विवेक का संबल बना रहे।
मां सरस्वती के पूजन से मानव जीवन का अज्ञान रूप दूर होकर ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता है। मां सरस्वती की कृपा मनुष्य में कला, विद्या, ज्ञान तथा प्रतिभा का प्रकाश करती है। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। सभी सामाजिक कार्यक्रमों का आरंभ भी इसीलिए सरस्वती वंदना से होती है ताकि कार्य सर्वोत्तम तरीके से पूर्ण हो।
माघी पूर्णिमा को सुबह बल, बुद्धि और विद्या के लिए माता सरस्वती की पूजा करें, सफेद फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं।
जिनके बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता वह किसी भी दिन हरे रंग के तोते वाला पोस्टर खरीदें। जिस कमरे में पढ़ाई करते हैं वहां की उत्तर दिशा में लगा दें। वास्तु शास्त्र की मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से बच्चों का पढ़ाई में रूझान बढ़ने लगेगा। इसके अतिरिक्त बुद्धि कुशाग्र होगी, स्मरणशक्ति में भी बढ़ौत्तरी होगी।
मां सरस्वती का मूल मंत्र
'शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे। सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।'
मां सरस्वती का श्लोक
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।
मां सरस्वती की आरती
कज्जल पुरित लोचन भारे, स्तन युग शोभित मुक्त हारे |
वीणा पुस्तक रंजित हस्ते, भगवती भारती देवी नमस्ते ॥
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥ जय.....
चंद्रवदनि पदमासिनी घुति मंगलकारी |
सोहें शुभ हंस सवारी अतुल तेजधारी ॥ जय.....
बायें कर में वीणा दायें कर में माला |
शीश मुकुट मणी सोहें गल मोतियन माला ॥ जय.....
देवी शरण जो आयें उनका उद्धार किया |
पैठी मंथरा दासी रावण संहार किया ॥ जय.....
विद्या ज्ञान प्रदायिनी ज्ञान प्रकाश भरो |
मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय.....
धुप दिप फल मेवा मां स्वीकार करो |
ज्ञानचक्षु दे माता भव से उद्धार करो ॥ जय.....
मां सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें |
हितकारी सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥ जय.....
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥ जय.....