मंदिरों का शहर कहते हैं इसे, असुर के नाम पर हुआ इसका नामकरण (Watch Pics)

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2016 11:47 AM

mahabalipuram mandir

भारत के खास बंदरगाहों में महाबलीपुरम का विशेष स्थान है। इसे तमिलनाड़ु की प्रमुख बंदरगाह कहा जाता है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 60 कि.मी. दूर दक्षिण

भारत के खास बंदरगाहों में महाबलीपुरम का विशेष स्थान है। इसे तमिलनाड़ु की प्रमुख बंदरगाह कहा जाता है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 60 कि.मी. दूर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी पर यह स्थित है। सात पैगोडाओं का यह शहर महाबलीपुरम नाम से भी जाना जाता है। 

 

इस स्थान के नामकरण के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वामनावतार धारण कर जिस असुर पर विजय प्राप्त की थी, उसी महाबली दानव के नाम पर इस जगह का नामकरण हुआ है। वैसे एक किंवदंती और भी प्रचलित है कि सातवीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंह वर्मन-महामल्ल अौर बलशाली थे। उन्हीं के नाम पर इसका नाम महामल्लपुरम और अपभ्रंश होते-होते आज मामाल्लीपुरम अथवा महाबलीपुरम हो गया।

 

महाबलीपुरम आज एक छोटी सी जगह है, कभी यहां पल्लवों का बंदरगाह था। ईसा पूर्व से ही ग्रीक नाविक अपने पोत यहां खड़े किया करते थे। आस-पास के स्थलों से प्राप्त असंख्य रोमन सिक्के इसके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार केन्द्र होने का संकेत देते हैं । महाबलीपुरम के मंदिरों और मूर्तियों की कला भारत की प्राचीन कलाप्रियता की परिचायक हैं। आज यह स्थल कलाप्रेमियों, इतिहासकारों एवं पुरातत्व के पारखियों का तीर्थ स्थल बन गया है। वैसे ये शिला शिल्प के लिए भी संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। महाबलीपुरम पर्यटकों के लिए सात पैगोड़ाओं के नाम से आकर्षण का केन्द्र रहा है, हालांकि आज केवल एक पैगोड़ा ही बचा है। शेष छह पैगाड़ाओं को समुद्र ने अपने आंचल में समेट लिया है।

 

कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास काल में कुछ समय तक महाबलीपुरम् में  अज्ञातवास किया था। यहां एक ही चट्टान पर काटकर बनाए गए मंदिर पांच पांडवों के नाम से जाने जाते हैं। जैसे- युधिष्ठिर रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, नकुल और सहदेव रथ सबसे छोटा रथ द्रोपदी के नाम का है, जिसके अंदर द्रोपदी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि यह दुर्गा जी की मूर्ति है। इनके अतिरिक्त इन्द्र, शिव, दुर्गा के वाहन हाथी, सिंह और नंदी रथ के पाश्चात्य प्रदेश में हैं। अर्जुन रथ बौद्ध बिहार शैली में निर्मित है। इस रथ के पीछे की दीवार में इन्द्र की प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है। तीसरा रथ जिसे भीमरथ के नाम से जाना जाता है। शिलाखण्ड की कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। अंत में युधिष्ठिर रथ जो कि देखने में अर्जुन रथ जैसा ही है, दर्शनीय है। द्वितीय पंक्ति में अर्जुन रथ के समीप ही बौद्ध चैत्य के आकार में नकुल व सहदेव रथ हैं। इस रथों के समूह का नाम पंच रथ है, लेकिन इनकी कुल संख्या 8 है।

 

महाबलीपुरम में पहाड़ को काटकर 9 गुफा मंदिर भी हैं, जिनकी शिल्प कला बहुत ही आकर्षक है। एक विशाल शिलाखण्ड को काटकर मत्स्याकार में निर्मित अर्जुन की तपस्या करते हुए प्रतिमा उस काल की कलात्मकता, सूक्ष्म कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है। यहीं गंगा का मर्त्यलोक में आगमन, पंचतंत्र की कथाएं भी विभिन्न चित्रों में सजीव हो उठी हैं। श्री कृष्ण मंदिर के ऊपरी स्तम्भ पर ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका पर धारण किए हुए कृष्ण का चित्र अंकित है जो कि बड़ा ही सुंदर लगता है। अन्य स्तम्भों पर बराह का मोहक चित्र अंकित है। इसी प्रकार दूसरे स्तम्भों पर अंकित महिषासुर मर्दिनी की प्रस्तर प्रतिमा शिल्प कला की दृष्टि से उत्कृष्ट है। देवताओं की असीम शक्ति का परिचायक है श्री कृष्ण की माखन चोरी का प्रतीक, जो एक बैलेंसिंग रॉक पर निर्मित है। गणेश मंदिर भी एक शिलाखण्ड को काटकर तैयार किया गया है। यहां वर्तमान में पूजा-अर्चना होती है।

 

महाबलीपुरम के चित्र खण्डों पर अंकित प्रतिमाएं बौद्ध शैली की है। इनमें गंगावतरण का दृश्य एवं अनंत नाग पर सोए विष्णु विशेष रूप में सुंदर है। उन पर अंकित प्रतिमाओं को देखने से स्पष्ट होता है कि प्रत्येक प्राणी तपस्या में लीन है। शिशु हाथियों के चित्र भी बहुत ही आकर्षक हैं। इसी प्रकार इन चट्टानों पर बंदरों की सजीव प्रतिमाएं भी अद्वितीय हैं।

 

समुद्र तट पर स्थित ‘शोर टेम्पल’ जो कि पिरामिड शैली में निर्मित है का निर्माण सातवीं शताब्दी के अंतिम राजा सिंह के युग में द्रविणीय रीति के अनुसार निर्मित हुआ है। पल्लव राजाओं की कलात्मक कृतियों का यह अंतिम पड़ाव है। मंदिर में शिव व विष्णु की प्रतिमा के पीछे शक्तिरूपेण दुर्गा जी की भी प्रतिमा है। पहाड़ों की खुदाई का सांड़ों की कतार भास्कर्य-कला के अतुलनीय साक्ष्य के रूप में विद्यमान है। यह मंदिर धर्मराज युधिष्ठिर के रथ के समान ही बना है। पत्थर को तराशती छेनी की आवाज से जगने वाला यह स्थल अब भी अपनी प्रस्तर प्रतिमा की विरासत को जिंदा रखे हुए है। पर्यटक यहां देवी-देवताओं की छोटी प्रस्तर और काष्ठ प्रतिमाएं, चूड़ियां, हस्तशिल्प की चीजें सस्ते दामों में खरीद सकते हैं।

 

विश्व प्रसिद्ध महाबलीपुरम का निकटतम रेलवे स्टेशन चेंगलपट्टू है, जो कि महाबलीपुरम से 30 कि.मी. दूर पश्चिम में स्थित है। यह रेलवे स्टेशन दक्षिण रेलवे की चेन्नई-त्रिची लाइन पर पड़ता है। यह कांचीपुरम और आरकोनम नगरों को भी जोड़ता है। चेंगलपट्ट से महाबलीपुरम तक का सफर बस या टैक्सी द्वारा तय किया जा सकता है। महाबलीपुरम चेन्नई तथा दक्षिण भारत के अन्य महाबलीपुरम चेन्नई तथा दक्षिण भारत के अन्य नगरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। महाबलीपुरम का निकटतम हवाई अड्डा ‘मीनमक्कम’ है, जो चेन्नई से लगभग 49 कि.मी. दूर है।

 

महाबलीपुरम में समुद्र तट पर बने होटलों में पर्यटक ठहर सकते हैं। हालांकि ये होटल काफी मंहगे हैं। यहां पर पर्यटक चाहे तो बस्ती में स्थित धर्मशाला निजी मकानों में भी भाड़े पर रह सकते हैं। महाबलीपुरम के हर दर्शनीय स्थलों के दर्शन के लिए गाइड़ रखना जरूरी है । भारत सरकार के पुरातात्विक विभाग, महाबलीपुरम से बिना शुल्क के गाइड़ मिलते हैं।

 

महाबलीपुरम् में बस स्टैंड के सामने वास्तु-शिल्पकारों के हाथों पत्थर पर खुदाई के भास्कर्य को स्कूल ऑफ स्कलपचर में मंगलवार को छोड़कर सुबह 9 बजे से सायं 4 बजे तक देखा जा सकता है। यहां पर स्थित लाइट हाउस पर चढ़कर नैसर्गिक भूमि के इस स्वप्न-नगरी के सौन्दर्य को दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक निहारा जा सकता है । लाइट हाउस के समीप ही समुद्र तट पर परमाणु ऊर्जा अनुसंधान केन्द्र है। यहीं पर राज्य पर्यटन विभाग का कार्यालय भी है जो सुबह 10 बजे से सायं 5.30 बजे तक खुलता है।

 

चेन्नई से प्रायोजित टूर से महाबलीपुरम का भ्रमण किया जा सकता है। हालांकि प्रायोजित टूर से समयाभाव के कारण महाबलीपुरम को संपूर्ण रूप से देख पाना असंभव सा है। अतः उचित यही रहेगा कि पूरा दिन यहां इत्मीनान से भ्रमण किया जाए। महाबलीपुरम में हस्तशिल्प की चीजें अच्छी बनती हैं, जिन्हें पूमपुहार, गवर्नमेन्ट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एण्ड स्कल्पचर तथा अन्य प्राइवेट हस्तशिल्प की दुकानों से खरीदा जा सकता है।

डॉ. अनामिका प्रकाश श्रीवास्तव
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!