Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 12:41 PM
कोलकाता: सिंथेटिक और रासायनिक रंगों से आपको एलर्जी हो सकती है या फिर आपकी त्वचा पर जलन और रैशेज पड़ सकते हैं। तो आप आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले इन कृत्रिम रंगों की जगह वनस्पति फूलों से बने जैविक रंगों का इस्तेमाल कर होली को और अधिक...
कोलकाता: सिंथेटिक और रासायनिक रंगों से आपको एलर्जी हो सकती है या फिर आपकी त्वचा पर जलन और रैशेज पड़ सकते हैं। तो आप आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले इन कृत्रिम रंगों की जगह वनस्पति फूलों से बने जैविक रंगों का इस्तेमाल कर होली को और अधिक रंगारंग बना सकते हैं। जैविक रंग तैयार करने में गुलाब, पलाश, अपराजिता और गेंदा जैसे फूलों का उपयोग किया जाता है। पश्चिम बंगाल सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं बागवानी विभाग ने होली पर रंग खेलने के शौकीनों को जैविक रंग सुलभ कराने के मद्देनजर एक स्वयं सहायता समूह से करार किया है। जैविक रंगों की बिक्री के लिए सिटी सेंटर 1 और सिटी सेंटर 2 के मॉल्स में शीघ्र ही आउटलेट खोला जाएगा जबकि राजरहाट, न्यू टाउन और साल्टलेक में मोबाइल आउटलेट(वैन) के जरिए इसे सुलभ कराया जाएगा। स्वयं सहायता समूह की 15 महिलाओं को जाधवपुर विश्वविद्यालय की ओर से प्रशिक्षित किया गया है, जो इसके लिए काम करेंगी।