Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Nov, 2017 05:20 PM
आज से लगभग पांच हजार साल पहले की बात है, मथुरा नगरी में भगवान श्रीकृष्ण साक्षात् परिपूर्ण ब्रह्म के अवतार माने गए। भगवान तथा सीर सागर में इन्हीं की दिव्य लीलाअों का गान हुआ है।
भगवान श्रीकृष्ण साक्षात् परिपूर्ण ब्रह्म के अवतार माने जाते हैं। आज से लगभग पांच हजार साल पहले मथुरा नगरी में जब अाकाशवाणी में कंस ने बहन देवकी के आठवें पुत्र से अपनी मौत के बारे में सुना तो वह भगवान श्री कृष्ण को अपना शत्रु मानने लगा। उसने अपने मंत्रियों की सलाह पर सभी बच्चों को मारने के लिए राक्षसों को भेजा। हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई। बाल रूप भगवान सब जान रहे थे। जब नंद बाबा के यहां पष्ठी महोत्सव मनाया जा रहा था।
इसी दौरान कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना अपने स्तनों में विष लगाकर सुदंर रुप बनाकर नंदभवन में आ पहुंची। यशोदा जी उत्सव की तैयारियां में व्यस्त थी। इसका फायदा उठा पूतना भगवान श्री कृष्ण को अंजान जान कर एकांत में लेकर स्तनपान कराने लगी लेकिन भगवान ने दुष्टभाव वाली उस पूतना के प्राण दूध पीने के साथ ही खींच लिए। पूतना पछाड़ खाकर गिर पड़ी और मृत्यु को प्राप्त हुई। इसी प्रकार अनेक लीलाओं से भगवान श्री कृष्ण ने सबको आंनदित किया।
हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि विष पिलाकर मारने की नीयत से आने वाली पूतना को अगर मोक्ष प्राप्त हो सकता है तो श्रद्धा-भक्ति से अपनी प्रिय वस्तु व स्वयं को श्रीकृष्ण को समर्पित करने वाले को भगवान से अवश्य मोक्ष प्राप्ति होगी।