मंगल लगाएगा शनि की राशि में हुंकार, लोग डरेंगे लेकिन नए अमीरों का होगा जन्म

Edited By ,Updated: 30 Nov, 2016 12:00 PM

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इस समय शनि अपने महाशत्रु मंगल के घर वृश्चिक में बैठकर अजीबोगरीब हालात पैदा किए हुए हैं। वहीं पर बृहस्पति अपने वैचारिक विरोधी बुध के घर कन्या में बैठकर आम जनता को बेचैन कर रहा है।

इस समय शनि अपने महाशत्रु मंगल के घर वृश्चिक में बैठकर अजीबोगरीब हालात पैदा किए हुए हैं। वहीं पर बृहस्पति अपने वैचारिक विरोधी बुध के घर कन्या में बैठकर आम जनता को बेचैन कर रहा है। राहु अपने कट्टर शत्रु सूर्य की सिंह राशि में चिढ़ा हुआ लग रहा है। 2 ज्योतिषियों ने केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा देश में लागू नोटबंदी को लेकर अपने समरूप विचार प्रकट किए हैं। ज्योतिषी सतगुरु स्वामी आनंद जी का मानना है कि मंगल भी गोचर में अपने धुरविरोधी शनि के घर में बेचैन हो भी रहा है और कर भी रहा है। ऐश्वर्य का मालिक शुक्र भी अच्छी स्थिति में नहीं है। इसी तरह ज्योतिषी इंद्रजीत साहनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2016 को शाम 6.11 बजे शपथ ली थी तथा उन्होंने प्रधानमंत्री पद शपथ लेने के बाद रजिस्टर पर शाम 6.13 बजे हस्ताक्षर किए थे, जिस कारण तुला लगन का उदय हुआ था, जिसमें 2 पापी ग्रह शनि व राहु बैठे हुए हैं, जबकि 12वें घर में भी पापी मंगल बैठा हुआ है, जबकि 8वें घर में क्रूर सूर्य की स्थिति है। 


सतगुरु स्वामी आनंद जी ने कहा कि शनि का शत्रु मंगल के घर में चक्रमण 2 वर्षों से नकारात्मक हालात पैदा किए हुए हैं। शनि ने वृश्चिक राशि में बैठकर जहां कई प्रकार के तनाव पैदा किए, वहीं बड़े-बड़े व्यापारियों को जमींदोज और बाजार से धन को गायब कर देने का कारक भी बना है। हालात को गंभीर बनाने में बड़ा हाथ बृहस्पति का भी रहा, जो अपनी शत्रु राशि कन्या में आगमन कर रहा है। राजकुमार बुध के घर देवगुरु कुछ बचित्र कारनामे करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन लगता है पिक्चर अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि जब सेनापति मंगल महाशत्रु शनि की मकर राशि से कुंभ राशि में प्रविष्ट होकर हुंकार लगाएगा तो लोग फिर से डर जाएंगे। परेशानी पर और बल पडऩा अभी शेष है, क्योंकि मंगल की आक्रामक चाल से शनि पर न्याय का जुनून अभी और सिर चढ़ कर बोलेगा। विश्व भर में बेचैनी-सी महसूस होगी। सितारे किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं, तनाव बढ़ेगा। हवाई रेल व सड़क दुर्घटनाओं में जन-धन की हानि होगी। शासकों के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी। शासक क्रूर हो जाएंगे। वे मरहम लगाने की अपेक्षा डराएंगे। यह दौर नए अमीरों को जन्म देगा और पुराने रइसों को नेस्तनाबूद करेगा। भारत में यह काल आर्थिक सुधारों की आधारशिला रखने के लिए नहीं बल्कि कालांतर में लक्ष्यों से भटकने के लिए भी जाना जाएगा। गरीब व्यक्ति अधिक कष्ट पाएंगे। बिल्डरों को भारी नुक्सान होगा।
 

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