मनुस्मृति: ये 6 काम करने से स्त्रियों के मान-सम्मान में आती है कमी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 12:18 PM

manusmriti women must not do these work

मनु द्वारा स्त्री को समाज में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है। उनका यह विचार मनुस्मृति में ही दिए गए एक श्लोक से सिद्ध होता है जिसका अर्थ है, “जहां स्त्रियों का सत्कार एवं सम्मान होता है, वहीं देवता वास करते हैं”।

मनुस्मृति भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसकी गणना विश्व के ऐसे ग्रंथों में की जाती है, जिस से मानव ने वैयक्तिक आचरण और समाज रचना के लिए प्रेरणा प्राप्त की है। इसमें प्रश्न केवल धार्मिक आस्था या विश्वास का नहीं है। मानव जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति, किसी भी प्रकार आपसी सहयोग तथा सुरुचिपूर्ण ढंग से हो सके, यह अपेक्षा और आकांक्षा प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति में होती है।

 

मनु द्वारा स्त्री को समाज में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है। उनका यह विचार मनुस्मृति में ही दिए गए एक श्लोक से सिद्ध होता है जिसका अर्थ है, “जहां स्त्रियों का सत्कार एवं सम्मान होता है, वहीं देवता वास करते हैं”। यानी कि जिस समाज में स्त्री को सम्मान प्राप्त नहीं होगा, वहां प्रगति होना असंभव है।

 

मनुस्मृति में स्त्री के चरित्र, उसके हाव-भाव तथा तमाम वह बातें जो एक स्त्री को परिभाषित करती हैं, उन पर कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। तो आईए जाने एेसे 6 काम जो स्त्रियों को नहीं करने चाहिए। मनुस्मृति में इन कामों पर लिखित श्लोक अनुसार

 

पानं दुर्जनसंसर्गः पत्या च विरहोटनम्।
स्वप्नोन्यगेहेवासश्च नारीणां दूषणानि षट्।।

 

अर्थ- 1. सुरापान (शराब पीना), 2. दुष्ट पुरुष की संगत, 3. पति से अलग रहना, 4. बेकार में इधर-उधर घूमना, 5. असमय एवं देर तक सोते रहना व 6. दूसरे के घर में रहना- ये 6 दोष स्त्रियों को दूषित कर देते हैं।

 

सुरापान (शराब पीना)
मनुस्मृति के अनुसार, महिलाओं को शराब नहीं पीनी चाहिए। क्योंकि सुरापान करने से स्त्रियों को अपने अच्छे बुरे का भान नहीं रहता और वह मर्यादाहीन आचरण कर बैठती हैं। शराब का सेवन करना न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि समाज के हित के लिए भी हानिकारक होता है। इसलिए स्त्री-पुरुष दोनों को सुरापान नहीं करना चाहिए। 

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न रखें दुष्ट पुरुष से मेल-जोल
महिलाओं को दुष्ट पुरुषों से मेल-जोल नहीं बढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से वह कभी भी किसी मुश्किल में फंस सकती हैं। दुष्ट पुरुष उस स्त्री का उपयोग अपने निजी हित के लिए कर सकता है। दुष्ट पुरुष की संगत में रहने से स्त्री का स्वभाव भी वैसा हो सकता है।

 

पति से अलग रहना
ग्रंथों के अनुसार, विवाह के बाद स्त्री को पति के ही साथ रहना चाहिए। पति के बीमार होने पर या किसी प्रकार का संकट आने पर भी उसे छोड़ कर नहीं जाना चाहिए। जो महिला पति से अलग रहती हैं, वे हर काम अपनी मनमर्जी से करने लगती हैं। ऐसी महिलाओं में चारित्रिक दोष आने की संभावना अधिक पाई जाती है। अतः महिलाओं को पति से अलग नही रहना चाहिए।

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बेकार में इधर-उधर घूमना
जो महिलाएं बिना किसी काम के इधर-उधर घूमती रहती हैं, वे स्वच्छंद होती हैं यानी ऐसी महिलाएं न तो किसी का कहना मानती हैं और न सामाजिक व पारिवारिक बंधनों को। यदि विवाहित महिला ऐसा करती हैं तो दोनों कुलों के सम्मान में कमी आती है। इसलिए महिलाओं को बिना किसी काम के इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए।

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असमय एवं देर तक सोते रहना
महिलाओं के असमय व देर तक सोने से परिवार में क्लेश की स्थिति बनती है। देर तक सोने के कारण महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाती और असमय सोने से परिवार वालों के मन में असंतोष पनपता है। इसका असर पति-पत्नी के दांपत्य जीवन पर भी पड़ता है। अतः महिलाओं को कभी भी असमय व अधिक देर तक नहीं सोते रहना चाहिए।

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दूसरे के घर में रहना
पिता के घर के बाद पति का घर ही स्त्री के लिए उपयुक्त रहता है। भले ही पति के घर में कितने भी अभाव हों, लेकिन उसी घर में नियमपूर्वक रहना पत्नी का धर्म है। पिता व पति के अतिरिक्त किसी अन्य के घर में रहने से स्त्री के चरित्र में दोष आने की संभावना अधिक रहती है। अतः महिलाओं को दूसरे के घर में अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए।

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