इस मंदिर में हनुमान जी से बातें करती हैं प्रेत आत्माएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Mar, 2018 04:50 PM

mehndipur balaji hanuman temple in rajasthan

राजस्थान राज्य के दो जिलों (करौली व दौसा) में विभक्त घाटा मेंहदीपुर मंदिर स्थित है। यहां तीन देवों की प्रधानता है, श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव)। यह तीन देव यहां आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इनके प्रकट...

हनुमान चालीसा में लिखा है 'भूत प‌िशाच न‌िकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे'। यदि किसी को इस दोहे के असल चमत्कार देखना हो तो राजस्‍थान में स्‍थ‌ित मेंहदीपुर बालाजी के दरबार में अवश्य जाएं।

राजस्थान राज्य के दो जिलों (करौली व दौसा) में विभक्त घाटा मेंहदीपुर मंदिर स्थित है। यहां तीन देवों की प्रधानता है, श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव)। यह तीन देव यहां आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं और अब तक इस स्थान के दो महंत इस समय भी विद्यमान हैं। 

 

इस मंदिर में मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। यहां कई लोगों को जंजीर से बंधा और उलटे लटके देखा जा सकता है। यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाम के समय जब बालाजी की आरती होती है तो भूत-प्रेत से पीड़ित लोगों को जूझते देखा जाता है।

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इतना पुराना है ये मंदिर
गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार, यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। 


मान्यताओं के अनुसार यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही हनुमानजी का स्वरूप माना जाता है। 


इनके चरणों में छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता। 

यह मंदिर तथा यहां के हनुमान जी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है।

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भूत-प्रेत से मिलता है छुटकारा
वैसे तो बालाजी के सामने जाने के लिए पीड़ित लोग आनाकानी करते हैं। कहा जाता है कि जब पीड़ित व्यक्ति के अंदर से प्रेत बाधाएं बोलती हैं तो उनकी आवाज ही बदल जाती है। 


इस दौरान वह कौन हैं क्या चाहते हैं और कैसे उनके अंदर बुरी आत्मा ने प्रवेश किया सब बताते हैं। फिर बालाजी बुरी आत्माओं की सजा सुनाते हैं और अगली पेशी की तारीख देते हैं। 


बालाजी जो फैसला बुरी आत्मा को सुनाते हैं उसे वह मानकर पीड़ित व्यक्ति को बंधनों से मुक्त कर देती है। कुछ लोगों को आगे आने का कह दिया जाता है। 


नवरात्र पर्व के दौरान भूत-प्रेत बाधाओं से ग्रसित लोगों की भीड़ यहां बहुत ज्यादा देखने को मिलती है।

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जंजीर में बांधकर लाए जाते हैं पीड़ित
बुरी आत्माओं और काले जादू से पीड़ित रोगों से छुटकारा पाने लोग यहां आते हैं। कई गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर से बांधकर मंदिर में लाया जाता है।  यहां आने वाले पीडित लोगों को देखकर सामान्य लोगों की रूह तक कांप जाती है। ये लोग मंदिर के सामने ऐसे चिल्ला-चिल्ला के अपने अंदर बैठी बुरी आत्माओं के बारे में भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का तांता लगा रहता है। ऐसे लोग यहां पर बिना दवा और तंत्र-मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं।

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