सोमवार का गुडलक: देवी सिद्धिदात्री की साधना से पारिवारिक सुख में होगी वृद्धि

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 26 Mar, 2018 07:04 AM

सोमवार दि॰ 26.03.18 को चैत्र नवरात्र के अंतर्गत नवम दुर्गा देवी सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही नवरात्रि का पारण और पूर्णाहुति की जाएगी। सिद्धिदात्री केतु ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती है। सिद्धिदात्री का स्वरुप उस देह त्याग कर चुकी आत्मा का है जिसने...

सोमवार दि॰ 26.03.18 को चैत्र नवरात्र के अंतर्गत नवम दुर्गा देवी सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही नवरात्रि का पारण और पूर्णाहुति की जाएगी। सिद्धिदात्री केतु ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती है। सिद्धिदात्री का स्वरुप उस देह त्याग कर चुकी आत्मा का है जिसने जीवन में सर्व सिद्धि प्राप्त कर स्वयं को परमेश्वर में विलीन कर लिया है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व व वशित्व यह आठों सिद्धियां सिद्धिदात्री से ही उत्तपन हैं। महादेव ने इन्हीं के ही मिलकर सर्व सिद्धियों को प्राप्त कर अर्धनारीश्वर रूप लिया था। शास्त्रनुसार परम सौम्य चतुर्भुजी देवी सिद्धिदात्री अपनी ऊपरी दाईं भुजा में चक्र धारण का संपूर्ण जगत का जीवनचक्र चलती है। नीचे वाली दाईं भुजा में गदा धारण कर दुष्टों का दलन करती हैं। ऊपरी बाईं भुजा में शंख धारण कर संपूर्ण जगत में धर्म स्थापित करती है, नीचे वाली बाईं भुजा में कमल के फूल से ये संपूर्ण जगत का पालन करती हैं। कमल आसन पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। नाना प्रकार के स्वर्ण आभूषणो से सुसज्जित देवी रक्त वर्ण के वस्त्र धरण करती हैं। आदिशक्ति परंबा अपने सिद्धिदात्री रूप में सम्पूर्ण जगत को रिद्धि सिद्धि अप्रदान करती हैं। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में सिद्दिदायक व मोक्षदायक ग्रह केतु का संबंध द्वादश व द्वतीय भाव से होता है। अतः देवी सिद्धिदात्री की साधना का संबंध व्यक्ति के सौभाग्य, हानि, व्यय, सिद्धि, धन, सुख व मोक्ष से है। वास्तुशास्त्र अनुसार केतु प्रधान देवी की दिशा आकाश है अर्थात उर्वर्ध। सिद्धिदात्री की साधना उन लोगों हेतु सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का लोगों की आजीविका का संबंध धर्म, संयास, कर्मकांड, ज्योतिष आदि से है। इनकी साधना से अष्टसिद्धि व नवनिधि व सिद्धियों की प्राप्ति होती है, व्यक्ति का हानि से बचाव होता है, पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। 


विशेष पूजन विधि: घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गुलाबी कपड़े पर देवी सिद्धिदात्री का चित्र स्थापित करके विधिवत पूजन करें। नारियल तेल में इत्र मिलकर का दीप करें, अगर से धूप करें, लाल-सफ़ेद दोरंगे फूल चढ़ाएं, भभूत से तिलक करें, चने व हलवे का भोग लगाएं व चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। 


पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:30 से प्रातः 10:30 तक।


पूजन मंत्र: ॐ सिद्धिदायिनी देव्यै: नमः॥


आज का शुभाशुभ
आज का अभिजीत मुहूर्त: दिन 12:05 से दिन 12:52 तक। 


आज का अमृत काल: शाम 17:45 से शाम 19:21 तक।


आज का राहु काल: प्रातः 08:00 से प्रातः 09:29 तक।


आज का गुलिक काल: दिन 13:58 से दिन 15:28 तक। 


आज का यमगंड काल: प्रातः 10:59 से दिन 12:29 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल पूर्व व राहुकाल वास वायव्य में है। अतः पूर्व व वायव्य दिशा की यात्रा टालें।

 

आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर: श्वेत।

आज का गुडलक दिशा: दक्षिण-पूर्व।

आज का गुडलक मंत्र: स्रीं सिद्धिदा कमलप्रियायै नमः॥

आज का गुडलक टाइम: शाम 19:55 से रात 20:50 तक। 

आज का बर्थडे गुडलक: हानि से बचाव हेतु मौली में बंधी 12 कुशा देवी सिद्धिदात्री पर चढ़ाएं।

आज का एनिवर्सरी गुडलक: पारिवारिक सुख में वृद्धि हेतु सिद्धिदात्री की कर्पूर-चंदन से आरती करें।

गुडलक महागुरु का महा टोटका: सिद्धियों की प्राप्ति हेतु देवी सिद्धिदात्री पर कमल का फूल चढ़ाएं।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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