सुबह बिस्तर छोड़ते समय करें ये काम, बनेंगे ईश्वरीय शक्तियों और अक्षय धन के हकदार

Edited By ,Updated: 22 Nov, 2016 10:12 AM

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जीवनचर्या/दिनचर्या का आरंभ सूर्योदय से होता है। सूर्य प्रत्यक्ष ब्रह्ममूर्त है। सूर्य सृष्टि के आत्मा ग्रह है। चन्द्रमा सृष्टि में मन का कारक है। पृथ्वी सृष्टि में सभी प्राणियों की जननी है। यह सृष्टि जिससे

जीवनचर्या/दिनचर्या का आरंभ सूर्योदय से होता है। सूर्य प्रत्यक्ष ब्रह्ममूर्त है। सूर्य सृष्टि के आत्मा ग्रह है। चन्द्रमा सृष्टि में मन का कारक है। पृथ्वी सृष्टि में सभी प्राणियों की जननी है। यह सृष्टि जिससे उत्पन्न हुई जिससे पलती है पोषित होती है जिससे इसका संहार होता है, इन तीनों नियमक तत्वों का मानव जीवन में प्रथम स्थान है। अत: जीवनचर्या दिनचर्या का शुभारंभ निम्रलिखित क्रम में होता है।


* शय्या पर प्रात:काल निद्रा खुलते ही श्रीहरि तत्सत् या ईष्ट देवता का स्मरण करना चाहिए।


* हथेली को देखते हुए उंगली के अग्रभाग में लक्ष्मी, हथेली के मध्य में सरस्वती और मणिबंध में ब्रह्मा का दर्शन करके प्रणाम करना चाहिए। 


* बिस्तर से उतरने के पूर्व या तत्काल बाद दाहिनी हथेली से पृथ्वी का स्पर्श करते हुए प्रणाम करना चाहिए। 


* हे विष्णुपत्नी पृथ्वी माता, समुद्र आपके वस्त्र हैं, पर्वत आपके स्तनमंडल हैं, जननी, आपको प्रणाम है। मेरे द्वारा पैरों से स्पर्श करने के कृत्य को क्षमा करें मां।


* बिस्तर पर से उठ कर पृथ्वी मां को प्रणाम करने के तत्काल बाद मल-मूत्र का विसर्जन करना चाहिए। मल, मूत्र, छींक, उबासी, खांसी में एक प्रकार का वेग होता है। शरीर के भीतर स्थित वेग को रोकना हानिकारक होता है। अत: शरीर से इन्हें शीघ्र बाहर निकाल देना चाहिए या निकल जाने देना चाहिए।


* ध्यान रखें सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए। यदि नींद पूरी न हुई हो तो उसे बाद में पूरा करें। यदि रात में सोने को समय न मिले तो उसके आधे समय तक दिन में सोने का विधान है। रात्रि शयन 6 घंटे का होता है। दिन में तीन घंटे तक सोने से रात्रि शयन की थकान मिट जाती है। यदि कोई रात्रि में चार घंटा ही सो पाया है तो उसे दिन में एक घंटा से ज्यादा नहीं सोना चाहिए।


* ब्रह्ममुहूर्त में जागने से ईश्वरीय शक्ति अपूर्व मेधा और ब्राह्मी प्रबोध की प्राप्ति होती है।
रात्रेस्तु परिचमो यामो मुहूर्ता ब्राह्मसंज्ञक:।


* ब्रह्म मुहूर्त में जाकर धर्म और अर्थ का चिंतन करने वाला व्यक्ति जीवन में अक्षय धर्म एवं अक्षय धन को प्राप्त कर लेता है।


* सूर्य समय से निकलता है। सूर्य जैसी शक्ति चाहिए तो बाल सूर्य का पूजन और प्रणाम आवश्यक है। अत: समय से जागना आवश्यक कृत्य है। समय से सोने वाला ही समय पर जाग सकता है। अत: समय पर सोना आवश्यक है।  


* व्यक्ति के भीतर विद्यमान चेतन घड़ी उसे सही समय पर जगा देती है। सोने से पूर्व केवल संकल्प करना चाहिए, ‘‘हे प्रभु मुझे ब्रह्म मुहूर्त में उठा दीजिए। निश्चित ही सूर्योदय से पूर्व नींद खुल जाएगी।’’


* सूर्योदय काल से प्रतिदिन आरंभ करके चार-चार घंटे की ऋतुएं बीतती रहती हैं। ये ऋतुएं ग्रीष्म, वर्षा, शरद हेमन्त शिशिर के क्रम में अनुवर्तन करती हैं। अत: सूर्योदय के आगे चार घंटे के अंदर स्वास्थ्य, विद्या, तेज, वर्चस, मेधा की वृद्धि के अनुकूल प्राकृतिक वातावरण रहता है। 

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