Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 07:48 AM
‘‘किया संहार महिषासुर का’’
भक्ति की भावना से मन को रिझाएं
मैया कात्यायनी के द्वारे जाएं!
जगमग ज्योत थाली में सजाएं
रहे नजरें मैया को निहारती!!
आओ हम सब रलमिल उतारें
षष्ठ नवरात्र मां की आरती!!!
‘‘किया संहार महिषासुर का’’
भक्ति की भावना से मन को रिझाएं
मैया कात्यायनी के द्वारे जाएं!
जगमग ज्योत थाली में सजाएं
रहे नजरें मैया को निहारती!!
आओ हम सब रलमिल उतारें
षष्ठ नवरात्र मां की आरती!!!
महर्षि कात्यायन के आंगन जन्मी
तपस्या से तुझको था पाया!
सारे देवलोक में हुआ चर्चा तेरा
अंश तेज का देवों से पाया!!
किया संहार तूने महिषासुर का
किया था आतंक से जीना हराम!
टूट पड़ी उस पर रणचंडी बन
करके रही समाप्त कोहराम!!
बिगड़ी दशा पल में संवारती
उतारें कात्यायनी मां की आरती!!!
सिंह सवारी, प्यारी मोतियों की माला
मुकुट विराजे माथे, रूप आला!
वर-अभय मुद्रा में हाथ उठाए
खड्ग, कमल पुष्प, चक्र लहराए!!
विधि-विधान लगे पूजा बड़ी प्यारी
तीनों लोकों में छवि है न्यारी!
तेरे दर पे आकर परचम लहराते
मनवांछित उमंगें पूरी हैं पाते!!
भक्तों को तेरी भक्ति सुहाती
उतारें मां भवानी की आरती!!!
कहे ‘झिलमिल’ अम्बालवी कवि
आए हैं दर पे बन के सवाली!
हमें चाहिए हाथ सर पे तेरा
घर आंगन आए सबके खुशहाली!!
हलवा बांटो, मेवा, मखाने बांटो
कन्याओं को सदा गले लगाओ!
मां की रहमत के खुले खजाने
आशीर्वाद पाओ, भाग्य पर इतराओ!!
दया की भावना भक्तों में जगाती
उतारें शीष नवाकर मां की आरती!!!
भक्ति की भावना से मन को रिझाएं
मैया कात्यायनी के द्वारे जाएं!
जगमग ज्योत थाली में सजाएं
रहे नजरें मैया को निहारती!!
आओ हम सब रलमिल उतारें
षष्ठ नवरात्र मां की आरती!!!
महर्षि कात्यायन के आंगन जन्मी
तपस्या से तुझको था पाया!
सारे देवलोक में हुआ चर्चा तेरा
अंश तेज का देवों से पाया!!
किया संहार तूने महिषासुर का
किया था आतंक से जीना हराम!
टूट पड़ी उस पर रणचंडी बन
करके रही समाप्त कोहराम!!
बिगड़ी दशा पल में संवारती
उतारें कात्यायनी मां की आरती!!!
सिंह सवारी, प्यारी मोतियों की माला
मुकुट विराजे माथे, रूप आला!
वर-अभय मुद्रा में हाथ उठाए
खड्ग, कमल पुष्प, चक्र लहराए!!
विधि-विधान लगे पूजा बड़ी प्यारी
तीनों लोकों में छवि है न्यारी!
तेरे दर पे आकर परचम लहराते
मनवांछित उमंगें पूरी हैं पाते!!
भक्तों को तेरी भक्ति सुहाती
उतारें मां भवानी की आरती!!!
कहे ‘झिलमिल’ अम्बालवी कवि
आए हैं दर पे बन के सवाली!
हमें चाहिए हाथ सर पे तेरा
घर आंगन आए सबके खुशहाली!!
हलवा बांटो, मेवा, मखाने बांटो
कन्याओं को सदा गले लगाओ!
मां की रहमत के खुले खजाने
आशीर्वाद पाओ, भाग्य पर इतराओ!!
दया की भावना भक्तों में जगाती
उतारें शीष नवाकर मां की आरती!!!