नव संवत्सर श्री विक्रमी संवत 2075 का शुभारम्भ, दो विरोधी ग्रह बने राजा और मंत्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 10:07 AM

new vikrami samvat 2075

भारत की गौरवशाली सभ्यता एवं संस्कृति में व्रत त्यौहार-नवरात्रों एवं नवीन संवत्सर आदि का विशेष स्थान महात्म्य है। इस वर्ष नया संवत् 18 मार्च 2018, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन रविवार को चांद्र संवत्सर श्री

भारत की गौरवशाली सभ्यता एवं संस्कृति में व्रत त्यौहार-नवरात्रों एवं नवीन संवत्सर आदि का विशेष स्थान महात्म्य है। इस वर्ष नया संवत् 18 मार्च 2018, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन रविवार को चांद्र संवत्सर श्री विक्रमी संवत् 2075 का शुभारंभ हो गया है। ‘विरोधकृत’ नामक संवत् का धार्मिक अनुष्ठान, जप-तप-दान आदि के संकल्प कार्यों में प्रयोग किया जाएगा। इस दिन किए गए तीर्थ स्नान गंगा स्नान-दान-पाठ-आदि का विशेष फल वर्ष भर रहता है। नवरात्रे भी इसी दिन से प्रारंभ हुए हैं।


संवत् का राजा : इस वर्ष संवत् का राजा सूर्य होने से क्रोध-उत्तेजना एवं कुछ नए एवं विचित्र रोगों से कष्ट, राजकीय प्रवृत्तियां बढ़ेंगी।


मंत्री शनि : संवत् के मंत्री का पद शनि को मिला है। सूर्य एवं शनि यद्यपि पिता-पुत्र हैं परंतु इनका आपस में परस्पर विरोध है । धार्मिक-सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में आपसी खींचातानी से मतभेद बढ़ता है। देश के कुछ भागों में कम वर्षा तो कुछ प्रदेशों में तूफानी वर्षा-बाढ़-बिजली गिरने कुदरती आफत, पहाड़ खिसकने, नदियों के उफान से मार्ग बदलेंगे एवं हानि होगी।


संवत् 2075 में नैसर्गिक दृष्टि से राजा सूर्य और मंत्री शनि में परस्पर विरोध है। अत: नए संवत् 2075 में सूर्य देव का पूरा दबदबा रहेगा तथा सत्ता सूर्य देव के पास रहेगी व मंत्री का अधिकार क्षेत्र न्यायाधीश श्री शनि देव के अधीन रहेगा, जिससे समाज में अशांति, भय इत्यादि हिंसक घटनाओं में वृद्धि होगी। 


राजा सूर्य होने से भारतवर्ष विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने में सफल रहेगा तथा मंत्री शनि होने से भारत विरोधियों को सबक देने में सक्षम होगा, साथ ही विश्व पटल पर विश्व गुरु के समान अपनी अहम भूमिका निभाने में योगदान देगा। इस संवत्सर में सेनापति और जल का प्रभार दैत्यगुरु शुक्र के अधीन होने से सेना के सुख-साधनों में वृद्धि होगी।


साथ ही दृढ़ शासन तथा सर्वत्र शांति बनी रहेगी और वर्षा का स्वामित्व भी शुक्र के पास होने से वर्षा अच्छी रहेगी। वित्त विभाग, कृषि, धातु के अधिकार को चंद्र देव संभालेंगे। अत: व्यापार व धन संबंधी मामलों को गति प्रदान होगी, आम जनमानस को नई योजनाओं से लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी और प्रजा सहर्ष कानूनों का पालन करेगी।


2 मई से 5 नवम्बर तक मंगल केतु की मकर राशि युति होने से राजनीतिक क्षेत्र में गतिरोध व प्रमुख नेता के लिए समय अनिष्टकारी रहेगा। साथ ही यह समय भारत में एक बड़ा सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन वाला रह सकता है।


विरोधीकृत नामक इस संवत् का वास वैश्य (वणिक) के घर में, रोहिणी का वास संधि में एवं संवत् का वाहन अश्व (घोड़ा) है। धान्य का स्वामी सूर्य, मेघेश (वर्षा) का स्वामी शुक्र, धनेश (धन-कोशपति) चंद्रमा तथा सेनापति (दुर्गेश) का भार शुक्र के पास रहेगा। इनके प्रभाव से वर्षा अच्छी होगी, सामान्य लोगों में सुविधाएं बढ़ेंगी, धर्म कार्यों में प्रवृत्त होंगे, शासक वर्ग ब्राह्मण-विद्वान एव विशिष्टजन का सम्मान हित करेंगे, प्रशासक वर्ग प्रजा की भलाई एवं कल्याण-प्रगति-सुख आदि हेतु प्रयत्न करेंगे। देश की सुरक्षा में मजबूती एवं दृढ़ता रहती है। धन-धान्य-सुख ऐश्वर्य वस्तुओं में वृद्धि एवं धन का प्रचार भी अधिक होगा।


इस संवत् पांच ग्रहण लगेंगे परंतु भारत में केवल एक ग्रहण ‘खग्रास चंद्रग्रहण’ 27-28 जुलाई-2018 आषाढ़ पूर्णिमा शुक्र-शनिवार की रात्रि को दिखाई देगा। इस वर्ष दो सोमवती अमावस्याएं (16 अप्रैल 2018 एवं 4 फरवरी 2019), दो भौमवती (मंगलवार की) अमावस (15 मई, 9 अक्तूबर की) एवं दो शनैश्चरी (शनिवार) की अमावस 11 अगस्त 2018 एवं 5 जनवरी 2019) को है। इनमें व्रत, जप, तप-गंगा आदि तीर्थ स्नान, श्री विष्णु-शिवपूजन, चंद्रपूजन, पीपलवृक्ष की पूजा-परिक्रमा-धूप-दीप-पुष्प-जल-गंगा जल आदि से पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।


अद्र्धकुंभी (प्रयाग राज त्रिवेणी): इस वर्ष माघ मास की अमावस को सूर्य चंद्रमा मकर राशि में तथा गुरु (बृहस्पति) वृश्चिक राशि में होने से प्रयागराज त्रिवेणी में अर्धकुम्भ का मेला 4 फरवरी 2019 दिन सोमवार को होगा। इस दिन सोमवती अमावस भी है इसलिए इसका महात्म्य और भी बढ़ जाता है। तीर्थ स्थान-गंगा स्नान का विशेष फल होता है। पितृतर्पण-दान-पुण्य का विशेष महात्म्य रहेगा।

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