अब अमरीका की धरती पर भी अक्षरधाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 08:39 AM

now akshardham on the american soil

गांधीनगर (गुजरात) व देश की राजधानी दिल्ली के बाद अब अमरीका के न्यूजर्सी राज्य के रोबिन्सविल नगर में 167 एकड़ भूमि पर सनातन संस्कृति संकुल अक्षरधाम के निर्माण से लाखों भक्तों-भाविकों में आध्यात्मिक व

गांधीनगर (गुजरात) व देश की राजधानी दिल्ली के बाद अब अमरीका के न्यूजर्सी राज्य के रोबिन्सविल नगर में 167 एकड़ भूमि पर सनातन संस्कृति संकुल अक्षरधाम के निर्माण से लाखों भक्तों-भाविकों में आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों के सिंचन का आधार तैयार हो गया है।


बी.ए.पी.एस. स्वामी नारायण संस्था के 6वें आध्यात्मिक मुखिया, प्रमुख स्वामी जी महाराज ने वहां अपने भौतिक जीवनकाल में मंदिर निर्माण कार्य सम्पन्न करवा लिया था। 6वें आध्यात्मिक मुखिया महंत स्वामी जी महाराज जालन्धर में नए मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के बाद अमरीका में अक्षरधाम के निर्माण को गति प्रदान करने के लिए 3 माह तक वहां विचरण करते रहे हैं। 


उनके आगमन के साथ ही गत दिनों रोबिन्सविल स्थित अक्षरधाम में अद्भुत कलामंडित मंडपम् का निर्माण पूरा हो गया। भक्तिनंदन स्वामी द्वारा तैयार डिजाइन के अनुसार, संतों-स्वयंसेवकों द्वारा किए गए भक्तिमय पुरुषार्थ के रूप में यह मंडपम् अनुपम कृति के रूप में खिल उठा है।


वरिष्ठ संतों-ईश्वरचरण स्वामी, आनंदस्वरूप स्वामी, आत्मस्वरूप स्वामी व अक्षरवत्सल स्वामी की उपस्थिति में महंत स्वामी जी ने इस मंडपम् का ‘प्रमुखस्वामी मंडपम्’ के रूप में नामाभिधान किया। स्वामी जी का इस अवसर पर कथन था-


अनंत जन्मों की कमाई चली जाए पानी में किंतु सत्संग में सच्ची कमाई है- भगवान की प्रसन्नता। अनंत पुण्य के फलस्वरूप सत्संग मिलता है। यह सत्संग हीरे के व्यापार जैसा है। सेवा कीजिए, महिमा समझिए और कमाई कीजिए। महिमा की बात नहीं करोगे, अभाव और अवगुण लोगे तो सारी कमाई नष्ट हो जाएगी। श्री हरि की प्रसन्नता अरबों डालर से अधिक मूल्यवान है।


विशिष्ट उत्सव का अगला चरण था- स्वामीनारायण मंदिर में बाल प्रभु श्री घनश्याम जी महाराज की अभिषेक मूर्ति की स्थापना। इसका अभिषेक प्रमुख स्वामी जी महाराज ने सारंगपुर (गुजरात) में 2016 में किया था। जब स्थापना के बाद महंत स्वामी जी प्रदक्षिणा करने लगे, तो अक्षरवत्सल स्वामी ने कहा- यहां जो कोई भी आकर अभिषेक करे, उसके शुभ संकल्प पूर्ण हों। अक्षरधाम में सेवा करने वाले तन-मन-धन से सुखी हों। अगले चरण में निर्माणाधीन अक्षरधाम के प्रथम स्तम्भ के शिला पूजन तथा स्थापनाविधि के अवसर पर 20 हजार यजमान हरिभक्तों को लक्ष्य में रख कर द्वि-दिवसीय उत्सव को 4 विभागों में विभाजित किया गया।


परमहंस मंडपम के प्रथम स्तंभ के पूजन के उपलक्ष्य में मंच पर 4 सफेद स्तंभ सुशोभित थे। अमरीका के वरिष्ठ हिंदू, भारतीय व्यवसायी व समुदाय का नेतृत्व करने वाले महानुभावों द्वारा स्वामी श्री का अभिनंदन करते हुए अक्षरधाम जैसा अद्भुत संकल प्रदान करने पर आभार व्यक्त किया गया।
 

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