Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 10:41 AM
केवल धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति धनवान नहीं बनता बल्कि उनके साथ-साथ कुबेर देव के पूजन का भी विधान है।
केवल धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति धनवान नहीं बनता बल्कि उनके साथ-साथ कुबेर देव के पूजन का भी विधान है। यक्ष कुबेर लक्ष्मी जी के खजांची हैं। वह ही उनके भक्तों में धन का वितरण करते हैं। 22 जून बृहस्पतिवार को कुबेर पूजा करना अत्यंत शुभफलदायक है। इस दिन कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि है। जो भक्त अपनी भक्ति से मां लक्ष्मी के कोषाध्यक्ष को प्रसन्न करता है वह धन, दौलत, गाड़ी और बंगले का सुख प्राप्त करता है।
पूजन विधि
ब्रह्म बेला में उठकर गंगा जल से स्नान करें, पीले रंग के वस्त्र पहनें, तांबे के कुबेर यंत्र को घर के मंदिर में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। यंत्र पर पीले रंग के फूल अथवा पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएं। भोग में लड्डू, केला, आम, लौंग, सुपारी, पान और इलायची रखें। घी का दीया और सुगंधित धूप जलाएं।
ध्यान रखें
सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें। धन के देवता और देवी उत्तर दिशा के स्वामी हैं। इसी दिशा से धन आगमन के स्त्रोत बनते हैं। अत: उनका पूजन करते वक्त अपना मुंह उत्तर दिशा में रखें।
मंत्र जाप
छोटे रूद्राक्ष की माला अथवा मोती की माला से कुबेर मंत्र का जाप करने से धन, सुख और स्मृद्धि में बढ़ौत्तरी होती है। अपनी इच्छा अनुसार इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र
ॐ कुबेराय नमः
कुबेर को प्रसन्न करने का सुप्रसिद्ध मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
इस मंत्र का कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी से लेकर तीन माह तक रोज 108 बार जप करें। मंत्र का जप करते समय अपने सामने धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।