नवरात्र के आखिरी दिन करें देवी सिद्धिदात्री की पूजा, मिलेगा हर सुख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Sep, 2017 03:35 PM

on the last day of navratri worship maa siddhidatri

नवरात्र का विश्राम दिवस यानि नवमी के दिन नवदुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये देवी केतु ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। सिद्धिदात्री का स्वरुप उस देह त्याग कर चुकी आत्मा का है

नवरात्र का विश्राम दिवस यानि नवमी के दिन नवदुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये देवी केतु ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। सिद्धिदात्री का स्वरुप उस देह त्याग कर चुकी आत्मा का है, जिसने जीवन में सर्व सिद्धि प्राप्त कर स्वयं को परमेश्वर में विलीन कर लिया है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व व वशित्व यह आठों सिद्धियां सिद्धिदात्री से ही उत्तपन हैं। महादेव ने इन्हीं के ही मिलकर सर्व सिद्धियों को प्राप्त कर अर्धनारीश्वर रूप लिया था। 


शास्त्रनुसार परम सौम्य चतुर्भुजी देवी सिद्धिदात्री अपनी ऊपरी दाईं भुजा में चक्र धारण का संपूर्ण जगत का जीवनचक्र चलती है। नीचे वाली दाईं भुजा में गदा धारण कर दुष्टों का दलन करती हैं। ऊपरी बाईं भुजा में शंख धारण कर संपूर्ण जगत में धर्म स्थापित करती है, नीचे वाली बाईं भुजा में कमल के फूल से ये संपूर्ण जगत का पालन करती हैं। कमल आसन पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। नाना प्रकार के स्वर्ण आभूषणो से सुसज्जित देवी रक्त वर्ण के वस्त्र धरण करती हैं। 


आदिशक्ति अपने सिद्धिदात्री रूप में सम्पूर्ण जगत को रिद्धि-सिद्धि प्रदान करती हैं। देवी सिद्धिदात्री की साधना का संबंध छाया ग्रह केतु से है। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में सिद्धिदायक व मोक्षदायक ग्रह केतु का संबंध द्वादश और द्वितीय भाव से होता है। अतः देवी सिद्धिदात्री की साधना का संबंध व्यक्ति के सौभाग्य, हानि, व्यय, सिद्धि, धन, सुख व मोक्ष से है। 


वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार केतु प्रधान देवी की दिशा आकाश को संबोधित करती है अर्थात उर्वर्ध। वो स्थान जहां पर छत, उपासना घर, उपवन या तिराहे, चौराहे हो। सिद्धिदात्री की साधना उन लोगों हेतु सर्वश्रेष्ठ है, जिनकी आजीविका का संबंध धर्म, संन्यास, कर्मकांड, ज्योतिष, धर्मशास्त्र इत्यादि से है। इनकी साधना से अष्टसिद्धि व नवनिधि प्राप्त होती है।


शक्ति साधना की प्राप्ति के लिए करें मंत्र जाप- सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥


विशेष- जीवन का हर सुख पाने के लिए करें कंजक पूजन।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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