Valentine Day: लाल रंग की वस्तुएं न करें Gift, हो जाएगा Break Up

Edited By ,Updated: 13 Feb, 2017 12:10 PM

on valentine day should not gift red items

कल 14 फरवरी मंगलवार को वैलेंटाइन्स डे है। बेशक यह दिन पाश्चात्य संस्कृति की देन है लेकिन अब

कल 14 फरवरी मंगलवार को वैलेंटाइन्स डे है। बेशक यह दिन पाश्चात्य संस्कृति की देन है लेकिन अब अविवाहित जोड़ ही नहीं विवाहित जोड़े भी इस दिन को खास रूप से मनाते हैं। इस दिन प्रेम का इजहार करने के लिए तोहफों का आदान-प्रदान भी किया जाता है, खासकर लाल रंग की वस्तुओं और चाकलेट का। पंजाब केसरी के ज्योतिष श्री कमल नंद लाल जी के अनुसार लाल रंग मंगल ग्रह को संबोधित करता है। मंगल ग्रह प्रेम संबंधों में रूकावट पैदा करता है और बहुत बार यह संबंध-विच्छेद का भी कारण बनता है। प्रेमी जोड़े अक्सर अपने प्यार का इजहार करने के लिए सुर्ख लाल रंग की वस्तुएं एक-दूसरे को भेंट में देते हैं। लाल रंग आपके प्रेम के लिए शाप बन सकता है और सदा- सदा के लिए आपको आपके प्रेमी से जुदा कर सकता है। कभी भी अपने प्रेमी को केवल लाल रंग की वस्तु न दें अन्यथा आपका संबंध विच्छेद हो सकता है। 

 

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लाल रंग के साथ अन्य कोई भी रंग मिलाकर भेंट स्वरूप दें। जिससे मंगल का प्रभाव कम हो जाएगा। अधिकतर प्रेमी जोड़े एक दूसरे को गुलाब भेंट करते हैं उसके नीचे की डंडी हरे रंग की होती है। जिससे मंगल का प्रभाव कम हो जाता है और प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को गुलाब देकर अपने जीवन में गुलाब की तरह खुशबू बिखेरने का वादा करते हैं। प्रेमी जोड़ों का प्रेम इस गुलाब के जरिए परवान चढ़ता है।


कलपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली का 8वां भाव भोग का भाव कहलाता है जिस पर की मंगल का अधिपत्य है। लाल शादी का जोड़ या कोई भी लाल वस्त्र जिस पर सुनहरी काम किया हो वो संसारिक प्रेम को दर्शाता है। इसी कारण अक्सर प्रेमी जोड़े लाल रंग भेंट करते हैं जिस कारण उनमें प्रेम बढ़ता रहे। 


जितनी भी मीठी चीजें होती हैं वह मंगल का प्रतिनिधित्व करती हैं विशेषकर चाकलेट जिसके आदान-प्रदान से प्रेम और एक दूसरे के प्रति आकर्षण में बढ़ौतरी होती है।


मंगल ग्रह को सूर्य, शनि, राहु और केतु की भांति पाप ग्रह माना जाता है क्योंकि यह प्रचंड प्रकृति का ग्रह है। कुण्डली में मंगल अनुरूप न होने पर प्रेम और वैवाहिक संबंधों में परेशानी और आपसी विवाद, झगड़ा रहता है जिस कारण प्रेमी जोड़ों और दंपतियों में अनबन हो जाती है। मंगल के अशुभ योग के चलते कपल्स में अलगाव भी हो जाता है।
मंगल के अशुभ प्रभाव का कारण है उनका उनके पिता के प्रति रोष। मान्यता है की भगवान विष्णु ने जब वराह अवतार धारण किया तो हिरण्याक्ष का वध करने के उपरान्त जब वह बैकुण्ठ को लौटने लगे तो भूमी देवी ने उनसे पुत्र की कामना की। भूमी देवी की इच्छा का सम्मान करते हुए वराह भगवान से मंगल देव का जन्म हुआ तत्पश्चात वह बैकुण्ठ को लौट गए। मंगल को अपने पिता का जाना अच्छा नहीं लगा। वह क्रोधित हो गए। उस दिन उन्होंने कसम खाई जैसे मेरे पिता ने मेरी माता का त्याग किया वैसे ही मैं भी उनकी बनाई सृष्टि पर प्रेमी जोड़ों और वैवाहिक दंपतियों के संबंध विच्छेदों का कारक बनकर उन्हें दुख पहुंचाऊंगा। तभी से वह गुस्से से लाल रहते हैं। 

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