नहीं टूटती यहां तय की हुई शादी, हर समाज के लोग तय करने आते हैं रिश्ते

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2017 08:18 AM

people come to decide relationships in this temple

दहिसर स्थित भाटला देवी मंदिर के सामने तय किए गए शादी के रिश्ते की डोरी मजबूत रहती है। भक्तों का मानना है कि

दहिसर स्थित भाटला देवी मंदिर के सामने तय किए गए शादी के रिश्ते की डोरी मजबूत रहती है। भक्तों का मानना है कि यहां हुई शादी में कभी खटास नहीं आती। भाटला देवी मंदिर के कार्यकारी अधिकारी पंकज वाडकर का कहना है कि जब वसई के पोर्तगीज लोगों द्वारा अपना धर्म बढ़ाने के लिए हिन्दू-देवी देवताओं के मंदिर ध्वस्त किए जा रहे थे, तभी चिमाजी आपा (नरवीर) वहां से चार देवी मूर्ति लेकर पलायन किए। उस समय दहिसर जंगलों व पहाड़ों से घिरा हुआ था। उन जंगलों के बीच भाटों की बस्ती में नरवीर ने देवी की मूर्ति पीपल के पेड़ के निकट छुपा दी। सबसे पहले इस मूर्ति को भाटों ने देखा इसलिए इसका नाम भाटला देवी पड़ा। 


पहले यह बहुत छोटा मंदिर था। तत्कालीन इंडस्ट्रीज कमिश्नर देवी भक्त देवीदास वाडकर ने रिटायर होने के बाद इस मंदिर की देखरेख शुरू की। 40 हजार वर्ग फुट में बसे इस मंदिर में शिवजी, हनुमान जी, दत्त, राधाकृष्ण, श्री गणेश आदि के मंदिर हैं। भाटलादेवी मंदिर के अध्यक्ष रामबिज यादव के अनुसार नवरात्रि में यहां नौ दिन तक कई आयोजन किए जाते हैं। घट स्थापना में शुरू हुआ महोत्सव दशहरा तक चलता है। इस उत्सव के दौरान यहां हजारों की भीड़ इकट्ठा होती है। यादव का कहना है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां हर समाज के लोग अपने बेटी-बेटों के रिश्ते तय करने आते हैं। भक्तों की मान्यता है कि यहां तय हुई शादी में कभी दरार नहीं पड़ती।

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