Edited By ,Updated: 30 Mar, 2017 08:17 AM
आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, ये दिन विशेष तौर पर शिव शक्ति को समर्पित है। इस तिथि को गणगौर तीज अथवा ईसर-गौर के नाम से
आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, ये दिन विशेष तौर पर शिव शक्ति को समर्पित है। इस तिथि को गणगौर तीज अथवा ईसर-गौर के नाम से जाना जाता है। करवाचौथ की तरह यह पर्व भी कुंवारी और विवाहिता महिलाओं के लिए खास है। वैसे तो यह त्यौहार राजस्थान का लोकपर्व है लेकिन मनभावन पति और अखण्ड सौभाग्य की कामना रखने वाली स्त्रियां इस दिन व्रत और पूजन करती हैं। इस दिवस की खासियत है की इसे 16 दिनों तक मनाया जाता है। राजस्थान में शादी के उपरांत आने वाला प्रथम गणगौर बहुत खास माना जाता है। न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरूषों के लिए भी तन, मन और धन से जुड़े सभी सुखों और कामनाओं को पूरा करने का अचूक अवसर है आज से लेकर 16 दिन तक तो करें कुछ खास उपाय
देवी भागवत में कहा गया है, शिव की शक्ति देवी पार्वती का अभिषेक आम या गन्ने के रस से करने पर धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती को अपने अंग-संग रखा जा सकता है।
शिवपुराण में वर्णित है, लाल व सफेद आंकड़े के फूलों को भोले बाबा पर अर्पित करने से भोग व मोक्ष प्राप्त होता है।
देवी पार्वती को गाय माता के शुद्ध देसी घी का भोग लगा कर प्रसाद रूप में बांट देना चाहिए अथवा दान भी किया जा सकता है। ऐसा करने से असाध्य रोगों पर विजय पाई जा सकती है।
शक्कर का भोग लगाने से उम्र लंबी होती है।
दूध अर्पित करने से व्यक्ति पीड़ा मुक्त होता है।
मालपूआ शिव शक्ति को भोग लगाकर दान करने से विकट समस्याओं से राहत दिलवाता है।
भगवान शंकर को चमेली के फूलों का हार अर्पित करने से मनचाहे वाहन का स्वप्न पूर्ण होता है।
देवी भागवत के अनुसार, वेद पाठ का उच्चारण करने के साथ-साथ कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से देवी पार्वती के स्वरूप को स्नान करवाने से किसी भी तरह के पाप का नाश होता है और जीवन के हर मुकाम में सफलता प्राप्त होती है।
माता पार्वती को केले का भोग लगाने के बाद दान कर दें, परिवार में खुशहाली का माहौल रहेगा और पारिवारिक सदस्यों में प्रेम बना रहेगा।