Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 02:56 PM
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म श्राद्धकर्म कहलाता है। शास्त्रों ने "श्राद्ध" को पितृयज्ञ भी कहा है। ऋषि पुलस्त्य के मतानुसार जिस विशिष्ट कर्म में दूध, गौघृत व शहद सहित सात्विक
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म श्राद्धकर्म कहलाता है। शास्त्रों ने "श्राद्ध" को पितृयज्ञ भी कहा है। ऋषि पुलस्त्य के मतानुसार जिस विशिष्ट कर्म में दूध, गौघृत व शहद सहित सात्विक पकवान श्रद्धापूर्वक पितृ के निमित कौए, गाय व ब्राह्मण को दिए जाते हैं वही श्राद्ध है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि जो व्यक्ति विधिवत शांतमन व श्रद्धा के साथ श्राद्धकर्म करते हैं, वह सर्व पापों से मुक्त होकर मोक्ष पाते हैं। उनका संसारिक चक्र छूट जाता है। शास्त्र श्राद्धकल्पता के अनुसार पितृ के उद्देश्य से श्रद्धा एवं आस्थापूर्वक पदार्थ-त्याग का दूसरा नाम ही श्राद्ध है।
पूर्णिमा श्राद्ध कल- मुहूर्त के साथ जानें पितरों को प्रसन्न करने की विधि
विधिपूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी देते हैं, रहें सावधान!
कल से शुरू होंगे श्राद्ध, पितृदोष से बचने के लिए करें ये काम
जानें, कब किस दिन आएगा कौन सा श्राद्ध
5 सितम्बर- अनन्त चतुर्दशी, पूर्णिमा श्राद्ध
6 सितम्बर- भाद्रपद पूर्णिमा स्नान आदि, एकम श्राद्ध
7 सितम्बर- द्वितिय श्राद्ध
8 सितम्बर- तृतीय श्राद्ध
9 सितम्बर- श्री गणेश चतुर्थी व्रत, चतुर्थ श्राद्ध
10 सितम्बर- पंचमी श्राद्ध
11 सितम्बर- चंद्र षष्ठी व्रत, षष्ठी श्राद्ध
12 सितम्बर- सप्तमी श्राद्ध
13 सितम्बर- श्री महालक्ष्मी व्रत, अष्टमी श्राद्ध
14 सितम्बर- नवमी श्राद्ध
15 सितम्बर- दशमी श्राद्ध
16 सितम्बर- इन्दिरा एकादशी व्रत, आश्विन संक्रांति, एकादशी श्राद्ध
17 सितम्बर- द्वादशी श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध
18 सितम्बर- चतुर्दशी श्राद्ध
19 सितम्बर- अमावस श्राद्ध, पितृकार्येषु
20 सितम्बर- आश्विन अमावस स्नान, देवकार्यषु!