15 जून को ग्रह-नक्षत्र करेंगे फेरबदल, 19 जून तक करें धन लाभ पर विचार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jun, 2017 04:32 PM

planet constellation will change on 5th june

15 जून बृहस्पतिवार को सूर्योदय से पहले प्रात: 4 बजकर 28 मिनट पर पंचक प्रारम्भ हो जाएगी। फिर प्रात: 5 बजकर

15 जून बृहस्पतिवार को सूर्योदय से पहले प्रात: 4 बजकर 28 मिनट पर पंचक प्रारम्भ हो जाएगी। फिर प्रात: 5 बजकर 32 मिनट पर सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा, सूर्य की मिथुन संक्रांति एवं आषाढ़ महीना प्रारम्भ हो जाएगा। संक्रांति का पुण्यकाल दोपहर 11 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। 19 जून सोमवार को सायं 5 बजकर 26 मिनट पर पंचक समाप्त होगी।


शुभ-अशुभ पंचक में कुछ इस तरह रहेगा नक्षत्रों का प्रभाव : धनिष्ठा नक्षत्र में अग्रि भय होता है। शतभिषा में कलह योग बनते हैं। पूर्वा भाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है। उत्तरा भाद्रपद में धन दंड होता है। रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।


पंचक के दौरान घनिष्ठा नक्षत्र होने पर घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए, इससे अग्रि भय होता है। इस दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।


पंचक के दौरान रेवती नक्षत्र में घर की छत नहीं बनानी चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है। पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुम्ब में पांच मृत्यु और हो जाती हैं। 


यदि परिस्थितिवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।


पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं। ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है।
 

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