संतान की रक्षा हेतु आज करें सफेद और गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Dec, 2017 08:43 AM

puterda ekadashi vrat

पोष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा के नाम से प्रसिद्घ है, इस दिन विधिवत व्रत करके मनुष्य पुत्र रत्न की प्राप्ति कर सकता है। इस बार यह एकादशी व्रत 29 दिसम्बर को है तथा दिसम्बर मास का अन्तिम एकादशी व्रत है।

पोष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा के नाम से प्रसिद्घ है, इस दिन विधिवत व्रत करके मनुष्य पुत्र रत्न की प्राप्ति कर सकता है। इस बार यह एकादशी व्रत 29 दिसम्बर को है तथा दिसम्बर मास का अन्तिम एकादशी व्रत है। यह व्रत अपने नाम के अनुकूल ही पुण्य फलदायक, पुत्रदायक तथा संतान की रक्षा करने वाला है। 


कैसे करें व्रत- व्रत करने के लिए प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निर्वित होकर भगवान श्री नारायण जी का धूप, दीप, पुष्प, नेवैद्य, मिठाई तथा मौसम के फलादि से पूजन करके अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन में बिताना चाहिए। रात को मंदिर में दीपदान करके रात्रि जागरण करना चाहिए। अगले दिन यानि 30 दिसम्बर को द्वादशी के दिन स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान के पूजन के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, गर्म वस्त्र एवं कम्बल आदि का दान करना अति उत्तम कर्म है। यह व्रत क्योंकि शुक्रवार को है इसलिए इस दिन सफेद और गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। व्रत में बिना नमक के फलाहार करना श्रेष्ठ माना गया है तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।


क्या है पुण्यफल- पदमपुराण के अनुसार सभी कामनाओं तथा सिद्घियों के दाता भगवान श्री नारायण ही इस तिथि के अधिदेवता हैं तथा इस व्रत के प्रभाव से जहां जीव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं उसके सभी पापों का नाश होता है । संतान सुख की इच्छा रखने वालों को पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो लोग मंदिर में जाकर दीपदान करते हैं, रात्रि में हरिनाम संकीर्तन करते हैं, उन्हें इतने अधिक पुण्यों की प्राप्ति होती है कि उनकी गणना चित्रगुप्त भी नहीं कर सकते।


क्या कहते हैं विद्वान- अमित चड्ढा के अनुसार एकादशी व्रत में सत्संग एवं रात्रि संकीर्तन करने का अत्यधिक महत्व है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक आत्मा का पुत्र विवेक है तथा श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं- बिनु सत्संग विवेक न होई। उन्होंने कहा कि विवेक रूपी पुत्र की प्राप्ति के लिए सभी को पुत्रदा एकादशी का व्रत बड़े विधि विधान के अनुसार करना चाहिए तथा व्रत का पारण 30 दिसम्बर को प्रात: 9.54 से पहले करना चाहिए। 

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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