निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय

Edited By ,Updated: 02 Dec, 2016 01:35 PM

rabindranath tagore

रबींद्र नाथ टैगोर विचारक ही नहीं बल्कि शांत साधक थे। वह भयमुक्त थे। उनका स्वभाव शांत था।

रबींद्र नाथ टैगोर विचारक ही नहीं बल्कि शांत साधक थे। वह भयमुक्त थे। उनका स्वभाव शांत था। वह काफी कम बात किया करते थे। कुछ लोग रबींद्र नाथ टैगोर जी की निंदा करते थे। एक बार शरत बाबू ने टैगोर से कहा, ‘‘मुझे आपकी निंदा सुनी नहीं जाती। आप अपनी आधारहीन आलोचना का प्रतिकार करें।’’ 


टैगोर ने शांत भाव से इस बात को सुना और कहा, ‘‘तुम जानते हो मैं निंदक और आलोचकों के स्तर तक नहीं जा सकता। मेरा अपना स्तर है। उसको छोड़कर मैं आलोचकों के स्तर तक जाऊं तभी उसका प्रतिकार हो सकता है। मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगा।  निंदकों और आलोचकों से बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि उनकी निरर्थक बातों का कोई जवाब नहीं दिया जाए।’’
 

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