Ramayana: श्रीराम से बिछड़ने का कारण बनी थी देवी सीता की ये भूल !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Dec, 2023 08:29 AM

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ऋषि वाल्मीकि जी द्वारा महाग्रंथ श्रीरामायण की रचना उसके होंद में आने से पूर्व ही कर दी गई थी। जब प्रभु श्री राम का मां सीता से विवाह भी नहीं हुआ था, उससे पूर्व उनके भविष्य का समस्त वर्णन लिखा जा चुका था।

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Shri Ramayana by Rishi Valmiki ji: ऋषि वाल्मीकि जी द्वारा महाग्रंथ श्रीरामायण की रचना उसके होंद में आने से पूर्व ही कर दी गई थी। जब प्रभु श्री राम का मां सीता से विवाह भी नहीं हुआ था, उससे पूर्व उनके भविष्य का समस्त वर्णन लिखा जा चुका था। आईए जानें, मां सीता से ऐसी क्या भूल हुई जिस वजह से उन्हें श्रीराम से अलग होना पड़ा ?

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मां जानकी अपनी सखियों के साथ उपवन में घुम रही थी, तभी उनकी दृष्टि एक पेड़ पर बैठे तोते और मैना पर पड़ी। वे दोनों एक वृक्ष पर बैठे थे और दोनों आपस में श्री राम के बारे में बातें कर रहे थे। जब मां सीता ने श्रीराम जी का वर्णन सुना तो अपनी सखी से कहा जाओ इस तोता-मैना को मेरे पास पकड़ कर ले आओ। सखी गई और दोनों को पकड़ कर ले आई और मां सीता के हाथ में दे दिया।

मां सीता ने उनसे पूछा," तुम कौन हो ? कहां रहते हो ? और जिस व्यक्ति के बारे में तुम बातें कर रहे थे, वो कौन हैं ? "

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 शुक पक्षी बोला," हम ऋषि वाल्मीकि जी के आश्रम के तोता-मैना हैं। हम वहीं पर रहते हैं। हमने देखा वाल्मीकि जी एक ग्रंथ की रचना कर रहे हैं जिसका नाम उन्होंने श्री रामायण रखा है। उसमें भगवान श्री रामचन्द्र हैं, उनका विवाह मां जानकी यानि मां सीता जी के साथ होना तय है। ऋषि वाल्मीकि ने जो श्री रामायण लिखी है, उसे उन्होंने घटनाएं वापरणे से पहले ही लिख दिया है।"
 
मां सीता ने उनसे पूछा," बताओ श्री राम का स्वरूप कैसा है ? "
 
तोता बोला," आपकी बातों से मालुम होता है जैसे आप ही देवी सीता हो।"
 
सीता जी बोली," हां मैं ही सीता हूं। तुमने कहा है मेरा विवाह श्रीराम के साथ होगा लेकिन अब तक मेरा विवाह नहीं हुआ लेकिन जब तक मेरा विवाह नहीं हो जाता तब तक तुम दोनों मेरे साथ रहोगे।" 

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तोता बोला," हम वन के पक्षी हैं। खुले आसमान में विचरन करते हैं, हम महल में कैसे रह सकते हैं ? हमें छोड़ दो।"
 
सीता जी ने जिद पकड़ ली वह नहीं मानी। दोनों पति-पत्नी बहुत गिड़गिड़ाए इस पर मां सीता बोली,"अगर यह तोता जाना चाहता है तो जाए लेकिन मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी।"
 
मैना जोर-जोर से रोने लगी वह गर्भवती थी। उसने क्रोध में आकर सीता जी को श्राप दिया," हे सीता! आज तू मुझे मेरे पति से अलग कर रही है। जब भविष्य में तू गर्भवती होगी तू भी अपने पति से अलग हो जाएगी, यह कहकर मैना ने अपने प्राण त्याग दिए।
 
उसके बाद तोता रोते हुए बोला," आज तूने मुझे मेरी पत्नी से अलग किया है। अब मैं भी अपने प्राण त्याग दूंगा लेकिन याद रहे अगले जन्म में मैं धोबी के रूप में जन्म लूंगा और तब तुम्हारे बारे में ऐसी अफवाह फैलाऊंगा की भगवान श्री राम को भी तुम्हें त्यागना ही पड़ेगा।" 
 
यही तोता- मैना अयोध्या में धोबी-धोबन के रूप में जन्म लेते हैं और श्री सीताराम के बिछड़ने का कारण बनें। 

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