रंगपंचमी पर खेलें हनुमान जी संग होली, भर लें अपनी खाली तिजोरी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 09:54 AM

rangapanchami 2018

मंगलवार का दिन और चैत्र का महीना हनुमान जी को समर्पित हैं। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने गए हैं। सगुण तौर पर भगवान शंकर ब्रह्म का प्रतीक हैं और निर्गुण तौर पर परब्रह्म स्वयं शिव हैं। हमारा संपूर्ण ब्रह्मांड पंचतत्व से ही निर्मित है।

मंगलवार का दिन और चैत्र का महीना हनुमान जी को समर्पित हैं। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने गए हैं। सगुण तौर पर भगवान शंकर ब्रह्म का प्रतीक हैं और निर्गुण तौर पर परब्रह्म स्वयं शिव हैं। हमारा संपूर्ण ब्रह्मांड पंचतत्व से ही निर्मित है। रंगपंचमी मूलत: रंगों द्वारा निर्गुण ईश्वर को सगुण बनाने का अवाहन है। रंग हमें तत्वों का आभास करवाते हैं। रंग ही ब्रह्मांड के तेजोमय सगुण स्त्रोत का अंश हैं। रंगपंचमी पर विभिन्न देवताओं के तत्व के स्पर्श की हम अनुभूति ले सकते हैं। हर रंग स्वयं में अपनी ऊर्जा और अपने देवता का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन हम हनुमान जी के साथ रंग खेलकर हनुमान जी की ऊर्जा और उनके तत्व का स्पर्श कर सकते हैं। हनुमान जी के साथ अलग-अलग रंग खेलकर जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। हनुमान जी को चढाया जाने वाला गुलाल उसकी समस्या या उस कार्य का क्रियावान करता है। विभिन्न रंग के गुलाल अलग-अलग देवताओं और कार्यों को संबोधित करते हैं।


लाल रंग हनुमान जी के गुरू सूर्य देव को समर्पित करता है। हनुमान जी पर ये रंग चढ़ाकर अपने ह्रदय क्षेत्र पर लगाने से प्रेम में सफलता, तेज में वृद्धि और शिक्षा क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। 


पीला रंग बृहस्पति को संबोधित करता है, हनुमान जी पर ये रंग चढ़ाकर अपने नाभि क्षेत्र पर लगाने से ज्ञान में वृद्धि होकर दुर्भाग्य दूर होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा हानि से मुक्ति मिलती है। 


गुलाबी गुलाल शुक्र को संबोधित करता है, हनुमान जी पर ये रंग चढ़ाकर अपने गालों पर लगाने से जीवन ऐश्वर्यवान बनता है, खाली तिजोरी धन से भरती है, प्रेम संबंध प्रगाड़ बनते हैं, दांपत्य संबंधों में सुधार आता है और पार्टनरशिप में सफलता मिलती है।


सिंदूरी रंग मंगल का प्रतीक है, हनुमान जी पर चढ़ाकर इसे मस्तक पर लगाने से बुद्धि कुशाग्र होती है। दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है, व्यक्ति तेजवान बनता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है।


हरा रंग बुध का प्रतीक है। हनुमान जी पर ये रंग चढ़ाकर अपनी भुजाओं पर लगाने से संपन्नता आती है, कारोबार में सफलता मिलती है। शत्रु परास्त होते हैं, पराक्रम में वृद्धि होती है।


नीला रंग शनि का प्रतिक है, इसे हनुमान जी को चढ़ाकर अपनी भुजाओं पर लगाने से कर्म क्षेत्र में सफलता मिलती है। आलस्य से मुक्ति मिलती है। दुर्भाग्य दूर होता है।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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