Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 01:36 PM
दुनिया का हर काम प्रकृति के नियमों और तरीकों से ही होता है लेकिन अहंकार से ग्रस्त लोग ऐसा मानते हैं कि
दुनिया का हर काम प्रकृति के नियमों और तरीकों से ही होता है लेकिन अहंकार से ग्रस्त लोग ऐसा मानते हैं कि सब कुछ वही कर रहे हैं। एक कुत्ता बैलगाड़ी के नीचे साथ-साथ चल रहा था। चलते-चलते वह सोचने लगा कि गाड़ी मैं ही खींच रहा हूं। ऐसे ही शख्स से सत्व, रज और तम तीनों गुण कर्म करवाते हैं लेकिन वह सोचता है कि ये सब मैं कर रहा हूं।
जैसे-जैसे गुणों का असर बदलता है वैसे-वैसे इंसान किसी खास काम को करना शुरू करता है। जब तम गुण बढ़ता है तब आलस्य, नींद, थकान, भारीपन, उदासी, मोह आदि से जुड़े काम करने लगता है। जब रज गुण बढ़ता है तब वह गति, चंचलता, सक्रियता और दुख आदि के कामों में लग जाता हूं। सत्व गुण के बढऩे पर हल्कापन, रचनात्मकता, खुशी, सुख, स्थिरता के काम शुरू करता है इसलिए यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि इंसान कोई काम नहीं करता बल्कि समय-समय पर पैदा हुए गुण उससे अपने जैसा काम करवाते हैं। हालांकि अहंकार में डूबा इंसान यह सोचता है कि मैं ही तो सब कुछ कर रहा हूं। इस तरह से अहंकार इंसान को उसके किए कामों से अलग नहीं होने देता। जैसे ही इंसान इस रहस्य को जान लेता है वह कर्म के बंधन से आजाद होने लगता है।