ब्रह्मा के एक वरदान से जब इस असुर ने बनाई मुर्दों को जीवित करने वाली बावड़ी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Mar, 2018 02:35 PM

religious story of brahma and shiva

ब्रह्मा जी से वर पाने के उपरांत तारकासुर के तीन पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने मयदानव के द्वारा तीन पुर (त्रिपुर) तैयार करवाए। उन तीनों पुरों में एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का था।

ब्रह्मा जी से वर पाने के उपरांत तारकासुर के तीन पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने मयदानव के द्वारा तीन पुर (त्रिपुर) तैयार करवाए। उन तीनों पुरों में एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का था। ये तीनों नगर आकाश में इधर-उधर आ-जा सकते थे। इसमें बढे़-बढे़ भवन थे बाग व सड़के थी। करोड़ों दानव उसमें निवास करते। सुख- सुविधाएं तो उन नगरों में इतनी थी कि कोई भी दानव जो भी इच्छा करता उसे वह मिल जाता। इतना ही नहीं तरकसुर के पुत्र ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वर मांगकर मुर्दो को भी जीवित कर देने वाली बाबड़ी बनवाई। 


कोई भी दानव अगर मर जाता तो उसे उस बाबड़ी में ले जाया जाता। वह पुनः जीवित हो जाता और पहले से ज्यादा शक्तिशाली हो जाता। फिर क्या था दानव निर्भय होकर देवताओं को डराने लगे। वे जगह-जगह देवताओं को भगाकर इधर-उधर विचरने लगे। वे मर्यादाहीन दनाव देवताओं के उद्यानों को तहस-नहस कर देते और ऋषियों के पवित्र आश्रमों को भी नष्ट कर देते। इनके अत्याचारों से चारों तरफ हाहाकार मच गया।


इस प्रकार जब सब लोक पीड़ित हो गए तो सभी देवता इंद्रा के साथ मिलकर उन नगरों पर प्रहार करने लगे। किंतु ब्रह्मा जी के वर के प्रभाव से सबअसुर पुनः जीवित हो जाते थे। सभी देवता मिलकर बह्मा जी के पास गए। बह्मा जी ने देवताओं को बताया कि भगवान शिव के अलावा आपको कोई भी इस समस्या से नहीं निकाल सकता। तदन्तर ब्रह्मा जी के नेतृत्व में सभी देवता भगवान् शिव के पास गए। भगवान् शिव शरणागतों को अभयदान देने वाले हैं। भगवान शिव के दर्शन पाकर सभी देवताओं ने सर झुकाकर प्रणाम किया। भगवान शिव ने आशीर्वाद स्वरूप उसने प्रश्न किया बताईए आप सब भी क्या इच्छा है।

देवताओं ने भगवान शिवकी स्तुति की और कहा हम मन, वाणी व कर्म से आपकी शरण में हैं हम सब पर कृपा कीजिए। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा आप सब भय रहित होकर मुझे बताईए कि मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं।


इस प्रकार जब महादेव जी ने देवतओं को अभयदान दे दिया तब ब्रह्मा जी ने हाथ जोड़कर कहा, सर्वेशर आपकी कृपा से प्रजापति के पद पर प्रतिष्ठित होकर मैंने दानवों को एक वर दे दिया था। जिससे उन्होंने सब मर्यादाओं को तोड़ दिया अब आपके सिवा  उनका कोई वध नहीं कर सकता।

तब महादेव जी ने कहा, ‘‘देवताओ! मैं धनुष बाण धारण करके रथ में सवार हो उनका वध शीघ्र ही करूंगा।’’ यह सुकर देवतागण संतुष्ट होकर भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। 

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