Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Sep, 2017 11:44 AM
यूनान का सबसे धनी व्यक्ति एक बार अपने समय के सबसे बड़े विद्वान सुकरात से मिलने गया। उसके पहुंचने पर सुकरात ने जब उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया तो उसने कहा, ‘‘क्या आप जानते हैं मैं कौन हूं?
यूनान का सबसे धनी व्यक्ति एक बार अपने समय के सबसे बड़े विद्वान सुकरात से मिलने गया। उसके पहुंचने पर सुकरात ने जब उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया तो उसने कहा, ‘‘क्या आप जानते हैं मैं कौन हूं?’’
सुकरात ने कहा, ‘‘जरा यहां बैठो, आओ समझने की कोशिश करें कि तुम कौन हो?’’
सुकरात ने दुनिया का नक्शा उसके सामने रखा और उस धनी व्यक्ति से कहा, ‘‘बताओ तो जरा, इसमें एथेंस कहां है?’’
वह बोला, ‘‘दुनिया के नक्शे में एथेंस तो एक बिन्दु भर है।’’
उसने एथेंस पर उंगली रखी और कहा, ‘‘यह है एथेंस।’’
सुकरात ने पूछा, ‘‘इस एथेंस में तुम्हारा महल कहां है?’’
वहां तो बिन्दु ही था, वह उसमें महल कहां से बताए। फिर सुकरात ने कहा, ‘‘अच्छा बताओ, उस महल में तुम कहां हो?’’
यह नक्शा तो पृथ्वी का है। अनंत पृथ्वियां हैं, अनंत सूर्य हैं, तुम हो कौन? कहते हैं, जब वह जाने लगा तो सुकरात ने वह नक्शा यह कहकर उसे भेंट कर दिया कि इसे सदा अपने पास रखना और जब भी अभिमान तुम्हें जकड़े, यह नक्शा खोलकर देख लेना कि कहां है एथेंस? कहां है मेरा महल? और फिर मैं कौन हूं? बस अपने आपसे पूछ लेना।
वह धनी व्यक्ति सिर झुका कर खड़ा हो गया तो सुकरात ने कहा, ‘‘अब तुम समझ गए होंगे कि वास्तव में हम कुछ नहीं हैं लेकिन कुछ होने की अकड़ हमें पकड़े हुए है। यही हमारा दुख है, यही हमारा नरक है। जिस दिन हम जागेंगे, चारों ओर देखेंगे तो कहेंगे कि इस विशाल ब्रह्मांड में हम कुछ नहीं हैं। तभी हमें परमात्मा की विराटता की वास्तविकता एहसास होगा। तभी हमारे मन में उसके प्रति समर्पण का भाव जागेगा। अन्यथा अहंकार हमें जीवन में इसी प्रकार भटकाता रहेगा। इसलिए जागो और अपना जीवन सफल करो।’’
उस धनी व्यक्ति ने उस दिन से घमंड करना छोड़ दिया।