बटोत में हर वर्ष होने वाले रूहानी संत-सम्मेलन को त्यौहार का दर्जा दिया जाए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jun, 2017 09:51 AM

rohani conferences are being given festival status in batote

ईश्वर तक पहुंचने के लिए श्रद्धा और विश्वास जरूरी जम्मू से लगभग 125 कि.मी. की दूरी पर स्थित बटोत में 1991 ई. से निरंतर इस धरा

ईश्वर तक पहुंचने के लिए श्रद्धा और विश्वास जरूरी


जम्मू से लगभग 125 कि.मी. की दूरी पर स्थित बटोत में 1991 ई. से निरंतर इस धरा पर रूहानी संत-सम्मेलन का आयोजन होता आ रहा है। इस बार भी 26वां वार्षिक संत सम्मेलन 9 जून से 11 जून तक होने जा रहा है। इस रूहानी संत-सम्मेलन से पूरी वादी अध्यात्म-ज्ञान रूपी गंगा से सराबोर हो जाती है।


इस सम्मेलन का आयोजन सतगुरु सेवा समितियां एवं सतगुरु सेवा ट्रस्ट की परमाध्यक्ष स्वामी भुवनेश्वरी देवी जी महाराज कर रही हैं। इस संत-सम्मेलन का शुभारंभ तब हुआ था, जब उनके गुरु स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज की प्रथम पुण्य बरसी आई थी। यह बात 1992 ई. की है। यह घड़ी बटोत वासियों के लिए बड़ा महत्व रखती है। जब स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज जी बटोत पधारे।


यह स्थान उन्हें इतना भा गया कि उन्होंने आर.एस.पुरा जम्मू में रहते हुए हर वर्ष गर्मियों में यहां आना आरंभ किया। शिव मंदिर के निकट जगह खरीद कर एक श्री राधा-कृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया। वहां नित्य सत्संग होने लगा। उनका लगाया हुआ अध्यात्म-ज्ञान का नन्हा-सा पौधा आज विशाल वट-वृक्ष हो गया है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इसकी छत्रछाया में बैठकर लाभान्वित हो रहे हैं।


विश्व शांति के लिए होने वाले इस सम्मेलन की परमाध्यक्ष स्वामी भुवनेश्वरी देवी ने बताया कि यह संत-सम्मेलन वह अपने सद्गुरुदेव स्वामी श्री रामेश्वरानंद महाराज जी की प्रेरणा से करवाती हैं। 


इसे सफल बनाने के लिए सभी सतगुरु सेवा समितियों एवं ट्रस्ट के पदाधिकारी अपने सदस्यों के साथ यहां पहुंचते हैं। देश भर से हजारों श्रद्धालु एवं भक्तजन इस सम्मेलन में पहुंचते हैं। 


उनके अनुसार यह सम्मेलन न सिर्फ हिंदू धर्म के लिए है बल्कि इसमें भारी संख्या में मुस्लिम व सिख श्रद्धालु भी हिस्सा लेते हैं। इसी कारण इसे पूरे क्षेत्र में ‘एकता सम्मेलन’ के नाम से भी जाना जाता है।


स्वामी भुवनेश्वरी देवी ने बताया कि यह सम्मेलन मनुष्य को प्रकाश और अंधकार, सत्य और असत्य धर्म और अधर्म तथा न्याय और अन्याय का अंतर समझता है। यदि हम ईश्वर तक पहुंचना चाहते हैं तो हमें अपने जीवन में श्रद्धा और विश्वास रूपी दो धाराओं के बीच अपनी जीवनरूपी नौका को चलाना होगा।


इस वर्ष यह सम्मेलन 9 जून को प्रात: हनुमान जी के ध्वजारोहण से शुरू होगा। प्रथम दिन संत-महापुरुषों के भजन व प्रवचन, दूसरे दिन अर्थात 10 जून को प्रवचनों एवं भजनों के अतिरिक्त सायंकाल को पूरे नगर में एक विशाल शोभायात्रा के साथ-साथ रात्रि को मां भगवती की चौकी होगी। 


सम्मेलन के आखिरी दिन यानि कि 11 जून को संतों के प्रवचन एवं भजनों के साथ-साथ जरूरतमंदों को राशन, बर्तन, गर्म कपड़े, बच्चों को स्वैटर, स्कूली ड्रैस के अलावा अन्य जरूरत का सामान भी वितरित किया जाएगा। बाद दोपहर पूर्णाहुति के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए भंडारा भी किया जाएगा क्योंकि यह एक धर्म-निरपेक्ष सम्मेलन है जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार से स्थानीय त्यौहार का दर्जा देने की मांग की जा रही है।
 

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