Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Oct, 2023 08:08 AM
बॉलीवुड फिल्मों में इन दिनों जिस तरह से सरगी खाने के दृश्य दिखाए जाते हैं, उन्होंने इस मान्यता को बदला है कि सरगी व्रत से पहले मात्र पेट पूजा वाला फंडा नहीं है बल्कि शाम और रात की पूजा की तरह इसका भी बहुत महत्व है।
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Karwa Chauth Vrat 2023 Sargi: बॉलीवुड फिल्मों में इन दिनों जिस तरह से सरगी खाने के दृश्य दिखाए जाते हैं, उन्होंने इस मान्यता को बदला है कि सरगी व्रत से पहले मात्र पेट पूजा वाला फंडा नहीं है बल्कि शाम और रात की पूजा की तरह इसका भी बहुत महत्व है। सुबह जब सास और बहू एक साथ बैठ कर सरगी खाती हैं तो उनके बीच प्यार और स्नेह भरा रिश्ता भी मजबूत होता चला जाता है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष में कर्क चतुर्थी अर्थात करवाचौथ का व्रत सुहागिनें और अविवाहित युवतियां अपने पति एवं भावी जीवन साथी की मंगल कामना और दीर्घायु के लिए सारा दिन निर्जल रह कर रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु भगवान शिव पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महत्व है। इसके साथ ही श्री गणेश जी का पूजन भी किया जाता है।
सरगी में छिपा प्यार और आशीर्वाद
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘सदा सुहागन रहो’ के आशीर्वाद के साथ देती हैं, जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मट्ठियां, फेनियां, आलू से बनी कोई सब्जी एवं पूरी आदि होती हैं। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है। फीकी मट्ठी ऊर्जा प्रदान करती है और रक्तचाप बढऩे नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं।
व्रत पर विशेष
इस अवसर पर दुकानों पर मीठी और फीकी मट्ठीयां तैयार की जाती हैं। ये मट्ठीयां विशेष तौर से बहू द्वारा अपनी सासू मां को बया देने पर दी जाती है। विवाहित स्त्रियां अपनी सुविधा अनुसार इस व्रत का उद्यापन भी करती हैं। वे उद्यापन करने के लिए एक थाली में चार-चार पूडिय़ां और हलवा रख कर सासू मां को देती हैं। इसके बाद तेरह ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा के साथ विदा करती हैं। उद्यापन के समय विवाहित स्त्री के मायके में कटोरियों या गिलासों में चावल और चीनी भर कर, फल, मेवे और सामर्थ्य के हिसाब से शगुन रख कर सामान सासू मां को भेजा जाता है। सास यह सामान अपने घर की बेटियों में बांट देती हैं। इस प्रकार करवाचौथ व्रत का उद्यापन सम्पूर्ण होता है।
Sargi khane ka time सरगी खाने का शुभ मुहूर्त- 1 नवंबर की सुबह 4 बजे से लेकर 5 बजे तक।