16 शुक्रवार तक करें इस देवी की पूजा, होगा भाग्योदय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 03:32 PM

santoshi mata dham jodhpur rajasthan

संतोषी मां को सभी इच्छाओं को पुर्ण करने वाली, संतोष प्रदान करन वाली और सभी परेशानियों को हर लेने वाली देवी मां माना जाता है। यह प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की पुत्री है, जो भक्तों के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देती है एवं सुख समृद्धि प्रदान करती है।

संतोषी मां को सभी इच्छाओं को पुर्ण करने वाली, संतोष प्रदान करन वाली और सभी परेशानियों को हर लेने वाली देवी मां माना जाता है। यह प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की पुत्री है, जो भक्तों के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देती है एवं सुख समृद्धि प्रदान करती है। इनका पूजन भारत के विभिन्न-विभिन्न राज्यों में किया जाता है। पूरे भारत में इनके अनेकों मंदिर स्थापित है, जिनकी अपनी-अपनी मान्यता है। इन्हीं मंदिरों में से एक राजस्थान के जोधपुर लाल सागर क्षेत्र में है जो संतोषी माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

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यह दिव्य धाम जोधपुर शहर से 10 कि.मी. दूरी पर लाल सागर क्षेत्र में पहाड़ियों की गोद में स्थित है। इस मंदिर की एक पहाड़ी के मध्य में मां संतोषी के चरण चिह्न हैं और उसके सामने ही मंदिर में विराजित मां संतोषी का भव्य स्वरूप है। मान्यता है कि यहां आकर मां के दर्शन करने वाले इंसान को सुख-समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है। स्वंभू चरण चिह्न और मां का मुख प्रकट होने से ही इस मंदिर का नाम प्रकट संतोषी माता मंदिर है। 

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इसके बारे में एक छोटी सी कथा प्रचलित है। एक बार यहां एक आदमी ने नवरात्रि में अखंड ज्योति कर निराहर नवरात्रि व्रत, पूजन व मां का गायन किया। मां ने उनकी भक्ति से प्रसन्न हो उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। उन्होंने वर में संतोष मांगा और कहा कि मुझे यहां दुनिया का मेला चाहिए। मां ने उनकी इच्छा को पूर्ण किया और तब से ये मंदिर प्रकट संतोषी मां के नाम से विख्यात हुआ। जोधपुर के इस मंदिर से भक्तों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। कठिन पहाड़ी रास्ता होने के बावजूद भी दूर-दूर से माता के भक्त यहां दर्शनों को आते हैं।

 

 

सदियों से पुराने इस मंदिर के बनने के पीछे भी एक भक्त की आस्था ही जुड़ी हुई है। मान्यता है कि पहाड़ियां और जंगल होने के कारण यहां ज्यादा अावाजाही ज्यादा नहीं थी। लेकिन एक दिन भगत जी नाम का एक भक्त घूमते हुए इस इलाके में आ पहुंचा। यहां उसको पहाड़ी पर पैरों के निशान दिखाई दिए, जिसे उसने इंसान के पैरों के निशान समझा।

 


उसी रात भगत को मां ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपने चरण चिह्नों से अवगत कराया। उस जिन से भगत जी जोधपुर में ही बस गए और उन्होंने धीरे-धीरे इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। हर शुक्रवार को मां के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और श्रदालु यहां होने वाली आरती में जरूर शामिल होते हैं। मान्यता है कि माता कि 16 शुक्रवार तक पूजा से मनवांछित फल मिलता है। लोग यहां अपनी मनेकामनां पूरी होने के बाद मां के नाम की चौकियां करवाते हैं।

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