Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Dec, 2020 08:00 AM
वैदिक धर्म के शास्त्रों में माह, तिथि, वार, नक्षत्र और ऋतु के अनुसार पर्व मनाए जाने का विधान है तथा इसी अनुसार देवताओं की पूजा होती है। शास्त्रनुसार हर माह में दो त्रयोदशी तिथियां पड़ती है।
Shani Trayodashi In December 2020: वैदिक धर्म के शास्त्रों में माह, तिथि, वार, नक्षत्र और ऋतु के अनुसार पर्व मनाए जाने का विधान है तथा इसी अनुसार देवताओं की पूजा होती है। शास्त्रनुसार हर माह में दो त्रयोदशी तिथियां पड़ती है। कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को समर्पित है। इसे आम भाषा में प्रदोष भी कहा जाता है। मान्यतानुसार प्रदोष का पालन करने से सभी प्रकार के दोषों का नाश होता है। प्रदोष हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है परंतु हर त्रयोदशी का महत्व उस तिथि पर पड़ने वाले पक्ष, वार व माह के अनुसार होता है तथा इसकी पूजन विधि भी उसी के अनुरूप होती है। शनिवार पर पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शनि प्रदोष के रूप मनाई जाती है। शनि त्रयोदशी समस्त दोषों से मुक्ति देने वाली मानी जाती है।
Shani Pradosh Vrat significance: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि प्रदोष व्रत शनि के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए उत्तम होता है। शास्त्रनुसार शनि त्रयोदशी का व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति हेतु सर्वोत्तम माना गया है। शनि प्रदोष व्रत करने वाले पर शनिदेव की असीम कृपा होती है। पौराणिक शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की गंगा के तट पर चारों वेदों के ज्ञाता महर्षि सूतजी ने शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों को शनि प्रदोष के बारे में बताया था। महर्षि सूत के अनुसार यह कथा इससे पूर्व स्वयं शिव शंकर ने माता सती को सुनाई थी। महर्षि सुत के अनुसार शनि त्रयोदशी के विधिवत पूजन-व्रत से बांझ स्त्रियों की कोख भी हरी होती है तथा निसंतान दंपति को भी संतान सुख प्राप्त होता है। शास्त्रनुसार शनि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को दो गायों के दान समान पुण्य मिलता है।
What are the benefits of Shani Pradosh: सूर्यास्त उपरांत 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है अर्थात सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष कहा जाता है। पौराणिक शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार शनि-त्रयोदशी पर भगवान शंकर अपने नटेश्वर स्वरूप में कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं।
Shani Pradosh Upay: मतानुसार शनि-त्रयोदशी पर एकादश बार दशरथ-कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आ रही परेशानीयों में कमी आती है।
शनि प्रदोष पर शिवलिंग पर काले तिलों को अर्पित कर गरीबों में वितरण किया जाता है।
शनि-त्रयोदशी पर गरीबों और अपंगों को काले छाते व जूते का दान करने का विधान है।
शनि प्रदोष को काले शिवलिंग, तिल के तेल, काले तिल का दान और प्रदोश काल का बड़ा महत्व माना जाता है।