शनि की जुबानी, जानिए किन लोगों पर ढहाते हैं वह अपना कहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Oct, 2017 11:23 AM

shani and laxmi special conversation

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी ने शनिदेव से पूछा, शनिदेव मैं लोगों की गरीबी दूर करके उन्हें धनवान बनाने के साथ-साथ सुख-समृद्धि प्रदान करती हूं पर आप लोगों से धन छीन कर फिर उन्हें उसी स्थिति में कर देते हैंं

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी ने शनिदेव से पूछा, शनिदेव मैं लोगों की गरीबी दूर करके उन्हें धनवान बनाने के साथ-साथ सुख-समृद्धि प्रदान करती हूं पर आप लोगों से धन छीन कर फिर उन्हें उसी स्थिति में कर देते हैंं। इसके पीछे क्या कारण है तब शनिदेव ने माता का प्रश्न सुनकर कहा कि मां इसमें मेरा कोई दोष नहीं हैं क्योंकि लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती हैं और जो लोग स्वयं खुश रहकर दूसरों को दुख पहुंचाते है और क्रूर व बुरे कर्म करते हैं उन्हें दंड देने के लिए परमात्मा ने मुझे ही ये काम सौंपा है। इसलिए वे जैसा कर्म करते है मैं उन्हें वैसा ही फल देता हूं।


दुष्टों के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है जैसा वो दूसरों के साथ करते हैं। लक्ष्मी जी ने शनिदेव की बात पर विश्वास न करते हुए कहा अभी मैं एक निर्धन व्यक्ति को अपने प्रताप से धनवान व पुत्रवान बना देती हूं और माता के वरदान से एक निर्धन व्यक्ति धनवान बन गया। तब लक्ष्मी जी बोली, अब आप अपना कार्य करें जैसे ही उस धनवान व्यक्ति पर शनिदेव की दृष्टि पड़ी वो धनवान व्यक्ति पहले जैसा निर्धन बन गया और भीख मांगने को मजबूर हो गया ,फिर लक्ष्मी जी ने शनिदेव से इसका कारण पूछा। 


शनिदेव ने बताया कि ये व्यक्ति इतना अत्याचारी, पापी व निर्लज्ज था कि इसने पहले गांव के गांव तबाह कर डाले थे और जगह-जगह पर आग लगाई थी। पापी मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि के लिए कोई जगह नहीं है और आपके वरदान से ये व्यक्ति धनवान, पुत्रवान तो बन गया पर इसके कर्म एेसे थे कि इसको फिर से गरीबी की स्थिति में रहना पड़ेगा क्योंकि जीवन में कर्म ही प्रधान है और हमें अपने कर्मों के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है। मां इसमें मेरा कोई दोष नहीं हैं ये उसके पूर्व जन्म के कर्मों का फल है।


शनिदेव जी बोले मां जो लोग किसी का बुरा नहीं सोचते और जो सदा दूसरों की भलाई करते हैं और भगवान के भक्त होते हैं, वे ही अगले जन्म में ऐश्वर्यवान होते हैं। उनके शुभ कर्मों के अनुसार ही मैं उनके धन-धान्य में वृद्धि करता हूं। मां कई लोग बढ़िया जीवन जीने के लिए अपने जीवन में कुछ एेसे कर्म कर बैठते हैं जो उन्हें नहीं करने चाहिए जिससे उन्हें जीवन में आगे चलकर दुख ही प्राप्त हो। 


अपना जीवन यापन करने के लिए मनुष्य को कम खाकर ही गुजारा कर लेना चाहिए लेकिन बुरे कर्म करने से पहले हर मनुष्य को यह सोच लेना चाहिए इसका परिणाम भी उसे खुद ही भोगना पड़ेगा। शनिदेव के वचन सुनकर माता लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और कहने लगी शनिदेव आप धन्य हैं जो प्रभु ने आपको इतनी बढ़ी जिम्मेदारी सौंपी हैं और एेसा कहते हुए लक्ष्मी जी अंतर्ध्यान हो गई।
 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!