कपिल शर्मा पर शनि की दशा भारी, आने वाले 3 वर्ष अत्यंत कष्टकारी!

Edited By ,Updated: 01 May, 2017 03:14 PM

shanis condition is very heavy on kapil sharma

कपिल शर्मा का जन्म अमृतसर, पंजाब, भारत में हुआ था। इनके पिता पुलिस डिपार्टमेंट में हेड कांस्टेबल थे और मां जनक रानी एक गृहणी है। कपिल ने एक स्थानीय (लोकल) पीसीओ से काम

कॉमेडी किंग कहे जाने वाले कपिल शर्मा का जन्म पंजाब के अमृतसर शहर में 2 अप्रैल 1981 को प्रात: 4:30 बजे हुआ था। 2013 में शर्मा ने अपने प्रोडक्शन बैनर के अंतर्गत अपना शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल लांच किया जो एक बहुत बड़ा हिट साबित हुआ। कॉमेडी नाइट्स विद कपिल भारत का सबसे प्रसिद्ध कॉमेडी शो है। उपरोक्त विवरण के अनुसार कपिल शर्मा की कुंडली कुंभ लग्न की बनती है। उनकी चंद्र राशि भी कुंभ है। लग्न व राशि के स्वामी शनि हैं। इनका जन्म शतभिषा नक्षत्र में हुआ है जिसके स्वामी राहू हैं। इस समय इन पर शनि की महादशा तो बुध की अंतर्दशा चल रही है। 


कपिल शर्मा की जन्म पत्रिका के आधार पर आने वाला जनवरी 2019 तक का समय ठीक नहीं है। शनि में केतु की दशा आने पर गुप्त साधन और गुरु की शरण में जाना होगा। स्वार्थसिद्धि के लिए ऐसा करना पड़ेगा। जो कपिल शर्मा के हित में रहेगा। कपिल शर्मा की जन्मपत्री के अनुसार कपिल को जल्द ही झूठे इल्जाम से गुजरना पड़ेगा। इनका जन्म कुंभ राशि में हुआ है और कुंडली का स्वामी बुध है, जो जन्म स्थान का भी स्वामी है, परंतु भाग्य का स्वामी शनि है।  इस पत्रिका के अनुसार कपिल की सफलता में भाग्य स्थान के स्वामी शनि तथा कुंडली के स्वामी बुध ने उन्हें इतना नाम, पैसा, प्रसिद्धि और शोहरत दिलाई है। 

 
उल्लेखनीय है कि कुंडली में स्वामी बुध ग्रह होने से जातक को तर्क-वितर्क में विशेष रुचि होती है। माना जाता है कि कवि, प्रखर प्रवक्ता, गायक तथा नेताओं की पत्रिका में इस ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है और कपिल की कुंडली में भाग्य स्वामी शनि ने उन्हें इतनी जल्दी इतनी बुलंदियों पर पहुंचाया है।

 
शनि की दशा ने ही कपिल का भाग्योदय किया है लेकिन शनि को शराब, जुएं और अन्य व्यसनों से घृणा है। उन पर शनि जल्दी कुपित हो जाते हैं और जनवरी 2016 में शनि की दशा परिवर्तन से कपिल शर्मा का बुरा समय आरंभ हो गया है। आने वाले 3 वर्ष कपिल के अत्यंत कष्टकारी हैं, परंतु इसके बाद होने वाले बुध की दशा परिवर्तन से उनका फिर से शिखर पर जाना संभव है, परंतु उन्हें व्यसनों से मुक्त होना होगा शनि के कोप से बचना मुश्किल है।  


कपिल शर्मा शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातक हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक कर्मठ, साहसी एवं बोलने में चतुर तो होते हैं लेकिन दुर्व्यसनों में लिप्त होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। कला प्रेमी होने के साथ-साथ बिना विचार कर काम करने वाले भी इस नक्षत्र में जन्में जातक होते हैं। इनका स्वभाव बहुत ही आवेशी होता है। इनके क्रोध को तूफानी क्रोध भी कहा जा सकता है जो कि एक दम से आता है और अचानक ही शांत भी हो जाता है।


शनि की महादशा में बुध चल रहा है जिसका इनकी पत्रिका में गहरा संबंध है। लग्नेश इनके लिए अष्टमेश में बैठा है और अष्टमेश लग्न में। इससे इनके स्वास्थ्य में हानि की संभावनाएं तो हैं ही साथ ही अनेक तरह की परेशानियां भी ऐसी दशा जातक के जीवन में लाती है। इस दशा के कारण जातक वाद-विवाद में घिरा रहता है। कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं। कपिल शर्मा के साथी कलाकारों के साथ बढ़ते विवादों के पिछे भी यह दशा कार्य कर रही है। नक्षत्र स्वामी राहू वर्तमान में इनकी राशि से छठे घर में यानि शत्रु भाव में विराजमान हैं, जो कि किसी न किसी व्यस्न के कारण इनसे गलतियां करवा रहा है। हालांकि इससे इन्हें लोकप्रियता भी मिलती है लेकिन यह इनके भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। राहू सिखाने का काम भी करता है। कुंभ जो कि सुधारक राशि मानी जाती है। राहू के प्रभाव से व्यक्ति गंभीरता और संयम के साथ पुन: लक्ष्य की ओर अग्रसर भी होता है।


कपिल शर्मा की इस कुंडली को देखने से पता चलता है कि भाग्य व सुख-समृद्धि का कारक ग्रह शुक्र बना हुआ है, जो कि उच्च का है। उच्च शुक्र के साथ ही कर्मेश मंगल भी विराजमान हैं। इन्हीं का योग इनकी कुंडली में धन, ऐश्वर्य के योग बना रहा है। धन स्थान को ही वाणी का स्थान भी माना जाता है अत: शुक्र व मंगल की इनकी वाणी पर भी विशेष कृपा है। इतना ही नहीं ख्याति दिलाने के कारक ग्रह सूर्य भी इनके साथ विराजमान हैं, जिनके कारण यह छोटे से स्तर से शुरुआत कर इस बड़े मुकाम को हासिल कर सके हैं। लग्न के चंद्रमा व बुध भी इनके लिए अभिनय क्षेत्र में प्रसिद्धि दिलाने वाले योग बनाते हैं इन्हीं के कारण 28 वर्ष से 32 वर्ष के बीच इनका भाग्योदय विशेष रूप से हुआ है।


इन पर दशा की बात की जाए तो 1996 से बृहस्पति की महादशा चल रही थी जो कि 2012 में समाप्त हुई है इसी के कारण जाते हुए बृहस्पति का भी इन्हें विशेष लाभ प्राप्त हुआ और इनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। बृहस्पति के पश्चात इन पर लग्न व राशि स्वामी की महादशा चल रही है, जिसके कारण इन्हें धन की प्राप्ति होने लगी व जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ने लगी। छठां घर जो तुला राशि का है जिसका स्वामी शनि है जो बारवें घर में मंगल की राशि में बैठा है। शनि की राशि में जो परिवर्तन योग कर रहा है। ये मैरिज योग के लिए अच्छा है। हैप्पी मैरिड लाइफ नहीं कह सकते। सप्तम घर से मैरिज पार्टनरशिप देखी जाती है। जहां वृश्चिक राशि है जिसका स्वामी मंगल है जो अपने घर से बारहवें घर में विराजमान है जो पार्टनरशिप और मैरिड लाइफ बिगाड़ सकता है। गुरु और शुक्र की कॉम्बिनेशन अच्छी है। गुरु और शुक्र होने से यह कह सकते हैं की पत्नी धार्मिक और सुन्दर होगी। आठवां घर जो धन राशि है। धन राशि का स्वामी गुरु है। जो खुद के घर से बाहरवें घर में है यानि लाइफ में कभी घात आ सकती है। 

 

इस कुंडली में 4 योग बनते हैं
शनि –
चंद्र से विष योग ये सोचने का पावर धीमा करता है।

शनि – मंगल ये परिवर्तन योग बनता है। शनि मंगल अक्सर बिल्डर की कुंडली में देखे जाते हैं और बहुत ऊंचे लोगों से कॉन्टैक्ट करवाता है।

सूर्य – चंद्र ये अगम चेती करवाता है। कोई भी चीज या इंसान या जगह में पहले कभी आया हो ऐसा महसूस करवाता है।

केतु– चौथे घर में मातृ दोष पैदा करता है। 

पंडित विशाल दयानन्द शास्त्री
vastushastri08@gmail.com

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