Sharad Purnima 2020: अमृत वाली खीर खाएं, रोग कहेंगे Bye-bye

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Oct, 2020 06:08 AM

sharad purnima eat kheer

शारदीय नवरात्र के बाद आने वाले शरद पूर्णिमा के धार्मिक महत्व से तो हम सभी परिचित ही होंगे, इसी को जागृति पूर्णिमा या कुमार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है I कुछ रात्रिओं का बहुत महत्व होता है जैसे

Sharad Purnima 2020: शारदीय नवरात्र के बाद आने वाले शरद पूर्णिमा के धार्मिक महत्व से तो हम सभी परिचित ही होंगे, इसी को जागृति पूर्णिमा या कुमार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है I कुछ रात्रिओं का बहुत महत्व होता है जैसे नवरात्री ,शिवरात्रि ,पूनम की रात्रि आदि इनमे चंद्रमा के नीचे बैठ कर जप व त्राटक करने को महत्व दिया गया है। ये जो हम हिन्दुओं के शरद पूर्णिमा, जन्माष्टमी राधाष्टमी आदि पर्व हैं, इन दिनों में ज्यादा लोगों से मेल मिलाप की बजाय सिर्फ अपनी ध्यान व जप साधना पर जोर दिया जाना चाहिए।

PunjabKesari Sharad Purnima Kheer

Benefits of special Kheer: इन दिनों में ग्रह नक्षत्र के हिसाब से वातावरण में एक अध्यात्मिक तरंगे मौजूद होती हैं। जिस से सात्विक व सकारात्मक विचार व मस्तिष्क प्रफुलित होता है इसलिए इसका फायदा उठाना चाहिए। शरद पूर्णिमा की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होती है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। चंद्रमा ही सब वनस्पतों को रस देकर पुष्ट करता है।

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Significance of Sharad Purnima Kheer: भगवान ने भी कहा है,'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'

'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।' (गीताः15.13)

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Importance Of Kheer: आज हम आपको इस रात के सेहत से जुड़े महत्व को स्पष्ट करने जा रहे हैं, आप जानते होंगे की शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और रातें शीतल हो जाया करती हैं I आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त दोष के प्रकोप का काल माना जाता है और मधुर तिक्त कषाय रस पित्त दोष का शमन करते हैं।

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Sharad Purnima 2020 Kheer Recipe: आपने शरद पूर्णिमा की रात अक्सर खीर बनाने के महत्व को सुना होगा। शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ, सौंठ, काली मिर्च, वासा, अर्जुन की छाल चूर्ण, तालिश पत्र चूर्ण, वंशलोचन, बड़ी इलायची, पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकायें और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें, अब इस खीर को ताम्बे के साफ़ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I

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Navanna Purnima: इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है, इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I

Kaumudi Purnima: उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार सेवन करने साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है Iकई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं ,जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता है I तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।

 

 

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